गोवा सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण 19.5 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने का निर्णय किया. निर्णय की घोषणा गोवा के मुख्यमंत्री मनोहर पर्रिकर ने राज्य-मंत्रिमंडल की एक बैठक के बाद 15 जनवरी 2014 को की.
आरक्षण सरकारी क्षेत्र में रोजगार और शैक्षिक संस्थाओं में प्रवेश पाने के लिए दिया गया. राज्य-मंत्रिमंडल का निर्णय राज्य के गजट में उसके अधिसूचित होने की तारीख से लागू होगा.
गोवा सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण बढ़ाने का निर्णय राज्य में उनकी जनसंख्या के विस्तृत सर्वेक्षण और ओबीसी आयोग की सिफारिश के अनुसरण में किया. सर्वेक्षण ने दर्शाया कि राज्य की कुल 14 लाख की जनसंख्या में से 3.84 लोग ओबीसी श्रेणी के हैं, जो 19 जातियों में बंटे हैं. ओबीसी की 19 जातियों में दो जातियाँ ईसाई समुदाय की भी हैं. ओबीसी जनसंख्या राज्य की कुल जनसंख्या की 26.6 बैठती है.
सर्वेक्षण के दौरान अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की स्थिति का निर्धारण करते समय साक्षरता, शिक्षा और आय की पृष्ठभूमि के साथ-साथ उनके जॉब-प्रोफाइल्स को हिसाब में लिया गया. राज्य ने क्रीमी लेयर को परिभाषित वाली शर्त भी 4.5 लाख रुपये से बढ़ाकर 6 लाख रुपये कर दी. क्रीमी लेयर वाले ओबीसी आरक्षण के दायरे से बाहर रहते हैं.
अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण के अतिरिक्त राज्य ने 12 प्रतिशत आरक्षण अनुसूचित जातियों को और 2 प्रतिशत आरक्षण अनुसूचित जातियों को दिया हुआ है.
अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए आरक्षण में वृद्धि से राज्य द्वारा दिया जाने वाला कुल आरक्षण 41 प्रतिशत हो गया, जो भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा आरक्षण के लिए निर्धारित 50 प्रतिशत की सीमा से नीचे है.
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