8 फरवरी 2010 को अहमदाबाद के भौतिकी शोध प्रयोगशाला में चंद्रायन-1 के छठे वैज्ञानिक बैठक में चाँद की सतहों से जुड़ी जानकारी दी गई. चाँद के ओसिनस प्रोकेलरम क्षेत्र (Oceanus Procellarum Area) में लावा से बनी नली के आकार की आकृतियाँ पायी गयीं. चंद्रायन-1 में लगी भारतीय यन्त्र टेरेन मैपिंग कैमरा (Terrain Mapping Camera) से यह जानकारी प्राप्त की गई.
वैज्ञानिकों के अनुसार यह क्षेत्र भविष्य में जाने वाले वाहनों के उतरने के लिए आदर्श जगह है, साथ ही यहाँ मानव बसाव भी संभव हो सकता है. चाँद के सतह पर 58.3170 पश्चिम देशांतर और 14.1110 उत्तर अक्षांश पर पायी गई दो नालियों में एक 3.65 कि.मी. लंबी है, जबकि दूसरी .73 कि.मी. इन दोनों नालियों को जोड़ने वाली एक दो कि.मी. लंबी और 360 मीटर चौड़ी नली भी है जिसका उपरी परत ढंका हुआ है. वैज्ञानिकों के अनुसार यही क्षेत्र मानव बसाव और चंद्रयानों के उतरने के लिए उपयुक्त है. यहाँ सौर विकिरण, लावा और भूकंपों के प्रभाव से बचा जा सकता है.
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