चीनी अन्वेषण टीमों ने तिब्बत के संसाधन संपन्न हिमालय क्षेत्र में 7 अप्रैल 2014 को एक सात किलोमीटर गहरा बोरहोल खोदा. क्षेत्र के तेल और प्राकृतिक गैस संसाधनों का दोहन करने के उद्देश्य से ड्रिलिंग की गई है.
चीन की ऊर्जा दिग्गजों, सिनोपेक और चीन के राष्ट्रीय पेट्रोलियम निगम (सीएनपीसी) ने तिब्बती पठार पर अन्वेषण परियोजनाओं को अंजाम दिया.
सीएनपीसी ने 1995 में केंद्रीय तिब्बत के क्यूआंगटेंग बेसिन की खोज शुरू की और बाद में बेसिन पर 10 अरब टन, या 70 अरब बैरल तेल के भंडार का अनुमान लगाया है.
सिनोपेक ने 1997 में विस्तृत भूकंपीय सर्वेक्षण और प्रयोगात्मक ड्रिलिंग के साथ आसपास के क्षेत्र मानचित्रण के उद्देश्य से नागकु काउंटी में अपना पहला अन्वेषण केंद्र स्थापित किया.
तिब्बत क्षेत्र में तेल और प्राकृतिक गैस की भारी क्षमता को देखते हुए अगस्त 2013 में भूमि और संसाधन मंत्रालय के तहत चीन भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण ने सिनोपेक के साथ 20 लाख युआन (35 लाख यूएस डॉलर) के अन्वेषण समझौते पर हस्ताक्षर किए.
तिब्बत की ऊंचाई और भूविज्ञान के कारण ये दुनिया के सबसे मुश्किल ड्रिलिंग स्थानों में से एक है. ऊर्जा भंडार के अलावा पठार में चीन के तांबा, लोहा, सोना और अन्य खनिजों के सबसे बड़े भंडार उपलब्ध हैं.
तेल और प्राकृतिक गैस के वाणिज्यिक रूप से व्यवहार्य प्रवाह की खोज में तिब्बत की अर्थव्यवस्था को विकसित करने की क्षमता है.
पूर्व सोवियत संघ ने 1980 के दशक में दुनिया का सबसे गहरा बोरहोल, रूस का कोला सुपरडीप बोरहोल 12,262 मीटर की गहराई तक खोदा था.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation