भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा (रथ महोत्सव) ओडिशा के पुरी में 29 जून 2014 को प्रारंभ हुई. भारत एवं विदेश से 10 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने तीर्थ नगरी पुरी में 12 वीं सदी के भगवान गणेश पुण्यस्थान में पीठासीन देवताओं की एक झलक पाने के लिए यात्रा की.
इस दिन भगवान जगन्नाथ जो ब्रह्मांड के भगवान हैं, अपने भाई बहन के साथ सभी संप्रदायों और समुदायों से संबंधित भक्तों को दर्शन देने के लिए अपने गर्भगृह से बाहर आते है. वापसी रथयात्रा (बहुदा जात्रा) गुन्दिचा मंदिर से 7 जुलाई 2014 को आयोजित की जाएगी.
इसके अतिरिक्त भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा देश भर में आयोजित की गयी. कड़ी सुरक्षा के बीच देवताओं के रथ शहर की सड़कों पर चलाये गए.
भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के बारे में
रथ यात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ और उनके भाई भगवान बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा को मंदिर के गर्भगृह से बाहर लाया जाता है और उनको और गुन्दिचा मंदिर (उनकी बुआ के घर) तक ले जाया जाता है. बुआ यहाँ देवत्व के स्त्री रचनात्मक पहलू को दर्शाता है.
यात्रा के दौरान देवताओं के रथों को हजारों श्रद्धालु द्वारा खीचां जाता हैं. तीन देवता एक सप्ताह के लिए गुन्दिचा मंदिर में रहते हैं और फिर लौट आते हैं.
यह भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन एक हजार से अधिक वर्षों से किया जा रहा है एवं इन वर्षों में इसमें बिल्कुल भी परिवर्तन नहीं आया है.
रथ यात्रा को हर वर्ष जून से जुलाई के मध्य शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन आषाढ़ माह में (चंद्रमा के वर्धन काल में) के बीच हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है.
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