सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एआर दवे ने 15 अप्रैल 2015 को राष्ट्रीय न्याययिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) अधिनियम, 2014 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई करने वाले पांच– जजों की संवैधानिक पीठ से खुद को अलग कर लिया.
अधिनियम ने एनजेएसी के साथ न्यायिक नियुक्तियों के दो दशक पुराने कोलोजियम सिस्टम की जगह ले ली है.
संवैधानिक पीठ के प्रमुख जस्टिट दवे, ने यह कदम सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ताओं के रिकॉर्ड एसोसिएशन (SCAORA) और अन्य याचिकाकर्ताओं की आपत्ति के बाद उठाया है.
SCAORA और अन्य याचिकाकर्ताओं ने इस आधार पर जस्टिट एआर दवे की एनजेएसी में नियुक्ति का विरोध किया था क्योंकि वे सुप्रीम कोर्ट के दो वरिष्ठ जजों में से एक हैं.
13 अप्रैल 2015 को एनजेएसी अधिनियम, 2014 अधिसूचित किया गया, इसमें एनजेएसी का संविधान दिया गया है जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बतौर अध्यक्ष होंगे.
सुप्रीम कोर्ट के दो सबसे वरिष्ठ जज, केंद्रीय कानून मंत्री और बतौर सदस्य दो प्रतिष्ठित व्यक्ति होंगे.
वर्तमान संवैधानिक पीठ भारत के मुख्य न्यायाधीश एच एल दत्तू ने जस्टिस एआर दवे की अध्यक्षता में सुप्रीम कोर्ट के तीन सदस्यों वाली पीठ द्वारा 7 अप्रैल 2015 को दी गई अनुशंसा के आधार पर याचिका की सुनवाई के लिए बनाया था.
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