1 फरवरी 2016 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने मच्छर जनित जिका वायरस के विस्फोटक प्रसार पर अंतरराष्ट्रीय चिंता की सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति घोषणा कर दी. संयोग से यह घोषणा पश्चिम अफ्रीका में इबोला प्रकोप के अंत के सिर्फ दो सप्ताह के बाद की गई. इबोला वायरस से इस इलाके में करीब 11000 लोगों की जान चली गई.
इस पृष्ठभूमि में जिका वायरस तथा इसके प्रसार और इसके संभावित प्रसार की क्षमता को कम करने के तरीकों को समझना प्रासंगिक है.
जिका वायरस कहां पाया जाता है ?
जिका वायरस बहुत अधिक मच्छरों वाले उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है और यह अफ्रीका, अमेरिका, दक्षिण एशिया और पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में पाया गया है. इस वायरस की खोज 1947 में हुई थी लेकिन कई वर्षों तक अफ्रीका और दक्षिणी एशिया में इसके सिर्फ कुछ मामले ही पाए गए.
वर्ष 2007 में प्रशांत क्षेत्र में पहला जिका वायरस बीमारी का प्रकोप दर्ज किया गया. वर्ष 2013 से पश्चिमी प्रशांत, अमेरिका और अफ्रीका से इस बीमारी के मामले सामने आ रहे हैं.
ऐसे वातावरण के विस्तार को देखते हुए जहां मच्छर जीवित रह सकते हैं और अपनी संख्या बढ़ा सकते हैं, शहरीकरण और भूमंडलीकरण ने इसमें मदद की है, जिका वायरस बीमारी के विश्व के प्रमुख शहरी महामारी होने की संभावना है.
लोग जिका वायरस से कैसे ग्रस्त होते हैं?
संक्रमित एडीज मच्छर के काटने से लोग जिका वायरस से ग्रस्त होते हैं– यह डेंगू, चिकनगुनिया और पीत बुखार फैलाने वाले मच्छरों जैसे ही एक प्रकार के मच्छर हैं.
एडीज मच्छर कहां जीवित रह सकता है?
जिका वायरस को संचारित करने में दो प्रकार के एडीज मच्छर सक्षम होते हैं– एडीज एजिप्टी और एडीज एल्बोपिक्टस.
ज्दातर मामलों में उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में एडीज एजिप्टी मच्छर के द्वारा जिका का प्रसार होता है. एडीज एजिप्टी मच्छर ठंडे जलवायु तापमान में जीवित नहीं रह सकता.
एडीज अल्बोपिक्टस मच्छर भी इस वायरस को संचारित कर सकता है. यह मच्छर खुद को हाइबरनेट (ठंड के मौसम में निष्क्रिए रहना) कर सकता है और ठंडे तापमान वाले क्षेत्रों में भी जीवित रह सकता है.
क्या एडीज मच्छर देश से देश और क्षेत्र से क्षेत्र पारगमन कर सकता है?
एडीज मच्छर उड़ने के मामले में कमजोर होते हैं. यह 400 मीटर से अधिक नहीं उड़ सकता. लेकिन यह अनजाने में मनुष्यों के द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जा सकता है. जैसे कार के पीछे या पौधों के जरिए.
जिका वायरस बीमारी के लक्षण क्या हैं?
जिका वायरस आमतौर पर मामूली बीमारी का करण बनता है. किसी व्यक्ति में इसके लक्षण संक्रमित मच्छर के काटने के कुछ दिनों के बाद नजर आते हैं.
जिका वायरस बीमारी वाले ज्यादातर लोगों को हल्का बुखार होगा और बदन पर दाने निकल आएंगे. कुछ लोगों को कंजक्टीवाइटिस ( नेत्र– शोथ) मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द और थकान भी हो सकती है. लक्षण आमतौर पर 2 से 7 दिनों में समाप्त हो जाते हैं.
जिका वायरस की संभावित जटिलताएं क्या हो सकती हैं?
चूंकि 2007 से पहले जीका वायरस का कोई बड़ा प्रकोप दर्ज नहीं किया गया था, इसलिए इस बीमारी की जटिलताओं के बारे में फिलहाल बहुत कम जानकारी मिल सकी है.
फ्रेंच पोलिनेशिया में 2013–14 में जिका के पहले प्रकोप के दौरान, इस समय डेंगू का प्रकोप भी चल रहा था, राष्ट्रीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने गुल्लियन– बर्रे सिंड्रोम (Guillain-Barré syndrome) में असामान्य वृद्धि की सूचना दी थी.
गुल्लियन– बर्रे सिंड्रोम (Guillain-Barré syndrome) में बढ़ोतरी का ऐसा ही मामला ब्राजील में जिका के पहले प्रकोप के संदर्भ में 2015 में पाया गया था.
वर्ष 2015 में ब्राजील में स्थानीय स्वास्थ्य अधिकारियों ने जिका वायरस के प्रकोप के समय ही माइक्रोसिफेली (microcephaly) के साथ पैदा होने वाले बच्चों की संख्या में बढ़ोतरी दर्ज की.
स्वास्थ्य अधिकारी और एजेंसियां अन्य संभावित कारणों के साथ– साथ माइक्रोसिफेली (microcephaly) और जीका वायरस के बीच संभावित संबंध की जांच कर रही हैं. हालांकि किसी भी संभावित संबंध को बेहतर तरीके से समझने से पहले और अधिक जांच और अनुसंधान की जरूरत है.
गुल्लियन– बर्रे सिंड्रोम (Guillain-Barré syndrome) क्या है?
यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली तंत्रिका तंत्र के हिस्सों पर हमला करती है. यह कई वायरसों की वजह से हो सकता है और किसी भी उम्र के व्यक्ति को प्रभावित कर सकता है. वास्तव में इस सिंड्रोम को कौन सक्रिय करता है, इसका पता नहीं चल सका है.
मुख्य लक्षणों में मांसपेशियों का कमजोर होना और हाथों एवं पैरों की झुनझुनी शामिल है. अगर श्वसन मांसपेशियां प्रभावित होती हैं तो गंभीर जटिलताएं पैदा हो सकती हैं और मरीज को अस्पताल में भर्ती भी करने की जरूरत होती है.
माइक्रोसिफेली (microcephaly) क्या है?
यह दुर्लभ स्थिति होती है जिसमें बच्चे का सिर असामान्य रूप से बहुत छोटा होता है. ऐसा गर्भ में या प्रारंभिक अवस्था में बच्चे के मस्तिष्क के असामान्य विकास के कारण होता है. माइक्रोसिफेली (microcephaly) वाले शिशु और बच्चों को अक्सर बढ़ती उम्र के साथ मस्तिष्क विकास संबंधी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है.
माइक्रोसिफेली (microcephaly) कई प्रकार के पर्यावरणीय और आनुवंशिक कारकों जैसे डाउन्स सिंड्रोम, गर्भावस्था के दौरान मादक दवाओं, शराब या अन्य विषाक्त पदार्थों के सेवन या गर्भावस्था के दौरान रुबेला संक्रमण आदि से हो सकता है.
क्या जिका पर अल नीनो का प्रभाव पड़ सकता है?
एडीज एजिप्टी मच्छर स्थिर पानी में प्रजनन करता है. गंभीर सूखा, बाढ़, भारी वर्षा और तापमान में बढ़ोतरी, ये सभी अल नीनो के ज्ञात प्रभाव हैं– इसकी वजह से मध्य से पूर्वी उष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर का जल गर्म होने लगता है.
अनुकूल प्रजनन स्थलों और उसमें विस्तार की वजह से मच्छरों की संख्या में बढ़ोतरी की उम्मीद की जा सकती है.
भारत में क्या स्थिति है?
अभी तक भारत में इस वायरस की एक भी घटना की रिपोर्ट नहीं की गई है. हालांकि 29 जनवरी 2016 को केंद्र सरकार ने इसके प्रसार को रोकने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों का एक समूह बनाया है. यह समूह इस वायरस से निपटने के बारे में सुझाव देगा.
जिका वायरस की बीमारी का पता कैसे चलता है?
जिका वायरस बीमारी वाले ज्यादातर लोगों के इलाज के लिए, इलाज का आधार उनके लक्षण और हाल ही में मच्छरों के काटने या जहां जिका वायरस पाए जाते हैं, उन इलाकों का दौरा करने के बारे में जानकारी होती है. प्रयोगशाला खून की जांच से निदान की पुष्टि कर सकता है.
जिका वायरस बीमारी का इलाज कैसे होता है?
जिका वायरस बीमारी के लक्षणों का इलाज आम दर्द और बुखार की दवाओं, मरीज को आराम करने और खूब सारा पानी पीने को कह कर, किया जा सकता है. अगर लक्षण बिगड़ते चले जाएं तो लोगों को चिकित्सीय परामर्श लेना चाहिए. फिलहाल इस बीमारी के लिए कोई विशेष इलाज या टीका नहीं है.
इस वायरस से खुद को कैसे बचाएं?
सबसे अच्छा बचाव होगा खुद को मच्छरों के काटने से बचाएं. मच्छरों के काटने से बचाना आपको जिका वायरस से बचाएगा, साथ ही मच्छरों से होने वाली अन्य बीमारियां जैसे डेंगू, चिकनगुनिया और पीत बुखार (येलो फीवर) से भी आप खुद को बचा पाएंगे.
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