5 फरवरी 2016 को जिम्बाब्वे के राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे ने देश के सूखाग्रस्त ग्रामीण इलाकों में राष्ट्रीय आपदा की घोषणा की.
यूरोपीय संघ द्वारा मुगाबे को आपदा घोषित करने के आग्रह के बाद यह घोषणा की गई. आपदा की यह घोषणा अंतरराष्ट्रीय दानकर्ताओं को देश में खाद्य सहायता पहुंचाने के लिए तेजी से पैसा मुहैया कराने की अनुमति देगा.
एक अनुमान के अनुसार 2.4 करोड़ लोगों को अभी खाद्य सहायता की जरूरत है. यह देश की एक चौथाई से अधिक आबादी है. सरकार ने जनता से परेशान नहीं होने की भी अपील की है क्योंकि वह पड़ोसी देश जाम्बिया से मक्का आयात करने करेगा .
जनवरी 2016 में संयुक्त राष्ट्र विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्लयूएफपी) ने कहा था कि अल नीनो प्रभाव की वजह से दक्षिणी अफ्रीका में पड़े सूखे की वजह से करीब 14 करोड़ लोग भूखमरी का सामना कर रहे हैं. दक्षिण अफ्रीका, नामीबिया और बोत्सवाना भी बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं.
ऐसा लगता है कि सदी के एक चौथाई में आए सबसे खराब सूखे से दक्षिणी अफ्रिकी देशों की समस्याओं को बढ़ा देगा. यह क्षेत्र 1999– 2008 के दौरान आई आर्थिक मंदी से उबरने के लिए संघर्ष कर रहा है. इस मंदी की वजह से इन देशों की अर्थव्यवस्था में करीब 50 फीसदी का ह्रास हुआ है.
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