जी-4 के संयुक्त राष्ट्र मामलों के महानिदेशकों की 11 फरवरी 2014 को नई दिल्ली में एक बैठक में आयोजित की गयी. इस बैठक के दौरान चार जी-4 राष्ट्रों नामत: ब्राजील, जर्मनी, भारत और जापान ने 12 फरवरी 2014 को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के सुधारों पर एक आउटरीच सेमिनार भी आयोजित किया.
बैठक के दौरान चारों राष्ट्रों के महानिदेशकों (डीजी) ने सुरक्षा परिषद के सुधारों पर अपने विचारों का आदान-प्रदान किया. ऐसी ही एक बैठक 68वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा के पार्श्वक्षेत्रों (साइडलाइंस) पर 26 सितंबर 2013 को न्यूयार्क में भी हुई थी.
चारों राष्ट्रों के महानिदेशकों ने न्यूयार्क में यूएनएससी की वर्तमान कार्यस्थिति के साथ-साथ उसकी प्रक्रिया को तत्काल टेक्स्ट-आधारित अंतर-सरकारी वार्ताओं की ओर मोड़ने के उपाय तलाशने पर भी चर्चा की थी. 21वीं सदी की भू-राजनीतिक वास्तविकताओं की बेहतरी के लिए उन्होंने स्थायी और अस्थायी दोनों वर्गों में यूएनएससी के विस्तार के लिए यूएन सदस्य राष्ट्रों में मौजूद व्यापक समर्थन को रेखांकित किया. ऐसा परिषद को ज्यादा प्रतिनिधित्वकारी, पारदर्शी और कार्यकुशल बनाने के लिए किया गया. जी-4 राष्ट्रों के महानिदेशकों ने इस बात पर भी बल दिया कि सुधारों से यूएनएससीके निर्णयों की प्रभावोत्पादकता और विश्वसनीयता के साथ-साथ वैधता भी बढ़ेगी.
जी-4 राष्ट्रों ने यूएन सुरक्षा परिषद के अभिलाषी नए स्थायी सदस्यों के रूप में अपनी प्रतिबद्धता और एक-दूसरे की उम्मीदवारी के लिए अपना समर्थन भी व्यक्त किया. उन्होंने विकासशील देशों, विशेषकर अफ्रीका, को वर्धित परिषद के स्थायी और अस्थायी दोनों वर्गों में प्रतिनिधित्व दिए जाने के महत्त्व पर अपने मत को भी दृढ़तापूर्वक रखा.
उन्होंने अपनी चर्चा 2015 में होने वाले विश्व सम्मलेन तक जारी रखने पर सहमति जताई. अगली बैठक जापान ने टोक्यो में आयोजित करने का प्रस्ताव किया. चारों राष्ट्रों के महानिदेशकों ने 12 फरवरी 2014 को भारत के विदेश मंत्री सलमान खुर्शीद से भी मुलाकात की.
रक्षा अध्ययन और विश्लेषण संस्थान तथा विदेश मंत्रालय ने 12 फरवरी 2014 को 'संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार : परिदृश्य और संभावनाएं' विषय पर एक आउटरीच सम्मलेन आयोजित किया.
सितंबर 2013 की बैठक की पृष्ठभूमि
जी-4 राष्ट्रों के विदेश मंत्री न्यूयार्क में मिले और 2005 के विश्व सम्मेलन के परिणामों में व्यक्त प्रतिबद्धताओं को कम से कम 2015 तक कार्यान्वित करने के प्रयास सघन करने की आवश्यकता पर बल दिया.

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