झारखंड उच्च न्यायालय ने राज्य के सभी अधिकारियों को अपनी चल-अचल संपत्ति की घोषणा करने का निर्देश दिया. झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति प्रकाश चंद्र टाटिया और न्यायमूर्ति पीपी भट्ट की खंडपीठ ने 14 सितंबर 2011 को सिटिजन काउज नामक संस्था की याचिका पर यह निर्देश दिया.
झारखंड उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 34 का पालन सुनिश्चित कराए, जिसमें प्रावधान है कि राज्य के सभी अधिकारी को हर तीसरे वर्ष अपनी चल-अचल संपत्ति की घोषणा करनी अनिवार्य है.
झारखंड उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने साथ ही राज्य निगरानी ब्यूरो को आदेश दिया कि एक माह के भीतर भ्रष्टाचार से संबंधित सभी मुकदमों की जांच पूरी की जाए. ज्ञातव्य हो कि वर्ष 2005 में झारखंड सरकार ने उच्च न्यायालय में हलफनामा देकर बताया था कि आठ सप्ताह के भीतर अफसरों के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी के सभी मामले निपटा दिए जाएंगे, जबकि अभी भी बहुत मामले अधूरे हैं. झारखंड उच्च न्यायालय ने इस पर गृह विभाग के उप सचिव को अवमानना नोटिस भी जारी किया.
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