भारत सरकार ने आदिवासियों के हस्तशिल्प उत्पादों को प्रोत्साहित करने के लिए ऑनलाइन पोर्टल स्नैपडील के साथ 13 मई 2015 को समझौता किया.
जनजाति मामलों के मंत्रालय के अधीन कार्यरत भारतीय जनजाति सहकारी विपणन विकास महासंघ मर्यादित (ट्राइफेड) ने स्नैपडील के साथ सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किए.
इस समझौते के तहत देशभर के आदिवासी कारीगरों द्वारा तैयार उत्कृष्ट कलाकृति व हस्तशिल्प वस्तुएं बिक्री के लिए स्नैपडील पर प्रदर्शित की जाएंगी. इसके अंतर्गत आदिवासी कारीगरों द्वारा निर्मित मूर्तियां, कला व हस्तकला उत्पादों, आदिवासी आभूषण, शिल्प, आदिवासी बुनाई और कढ़ाई, चित्रों आदि जैसे आदिवासी हस्तशिल्प की वस्तुएं शामिल होंगी.
सरकार का स्नैपडील के साथ समझौता करने का मुख्य उद्देश्य आदिवासी समुदायों की आजीविका में सुधार और उनके सांस्कृतिक ज्ञान और पारंपरिक कौशल के आधार पर उनके लिए व्यापार के अवसर पैदा करना है.
भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ मर्यादित (ट्राईफेड) के बारे में
भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ मर्यादित (ट्राईफेड) की 6 अगस्त 1987 को स्थापना की गई और इसका बहुराज्यीय सहकारी समितियाँ अधिनियम 1984 के अंर्तगत पंजीकरण किया गया (जो अब बहुराज्यीय सहकारी समितियाँ अधिनियम, 2002 है), ट्राईफेड ने भारत सरकार के कल्याण मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में वर्ष 1988 से कार्य करना प्रारंभ किया (जो अब भारत सरकार का जनजातीय कार्य मंत्रालय है).
ट्राईफेड का पंजीकृत मुख्य कार्यालय नई दिल्ली में स्थित है और देश के विभिन्न स्थानों पर 13 क्षेत्रीय कार्यालय हैं और एक केन्द्रीय गोदाम दिल्ली में है. ट्राईफेड के "ट्राइब्स इंण्डिया" नाम के ब्रांण्ड के अंर्तगत 37 शोरुम है एवं कन्साइनमेंट के आधार पर 6 राज्यों के एम्पोरियमों के माध्यम से आदिवासी उत्पादों का भी खुदरा विपणन कर रहा है.
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