भारत द्वारा अपने तटीय क्षेत्रों का मानचित्र तैयार करने केलिए स्टीरियो डिजिटल एरियल फोटोग्राफी (एसडीएपी) का प्रयोग करने का निर्णय 6 अप्रैल 2011 को लिया गया. एसडीएपी 11000 किमी वृत्ताकार क्षेत्र को कवर करेगा जो गुजरात से पश्चिम बंगाल तक 60000 वर्ग किमी क्षेत्र तटीय क्षेत्र में फैला है. देश के समुद्र तटीय क्षेत्र के प्रबंधन के लिए उठाई जाने वाली यह अनोखी पहल है. विश्व बैंक की सहायता से चलने वाली इस परियोजना में 27 करोड़ रुपए की लागत तथा पांच वर्ष का समय आएगी. इस कार्य में पांच साल का समय लगेगा. इसके माध्यम से पिछले 40 वर्षों की बाढ़ सीमा की पहचान, समुद्र तल में उभार और उसके प्रभाव के आंकड़े जुटाए जाएंगे, जिसके आधार पर अगले सौ वर्षों के दौरान भू-क्षरण का अनुमान लगाया जाना है.
विदित हो कि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के भारतीय सर्वेक्षण विभाग से एक सहमति पत्र पर 12 मई 2010 को हस्ताक्षर किया था. इसके अंतर्गत भारत के विस्तृत समुद्र तटीय क्षेत्र के खतरे वाली सीमा का मानिचत्र तैयार करना था. इस सर्वेक्षण में 125 करोड़ रुपए खर्च होने हैं. एसडीएपी के लिए भारतीय महाद्वीप के समुद्र तटीय क्षेत्रों को आठ भागों में बांटा गया है. इनके नाम इस प्रकार हैं-
1. भारत-पाक सीमा से गुजरात में सोमनाथ, 2. सोमनाथ से महाराष्ट्र में उलहास नदी, 3. उलहास नदी से कर्नाटक में सरस्वती नदी, 4. सरस्वती नदी से तमिलनाडु में केप कॉमरान, 5. केप कॉमरान से तमिलनाडु में पोन्नीयुर नदी, 6. पोन्नीयुर नदी से आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी, 7. कृष्णा नदी से ओडिशा में छतरपुर और 8. छतरपुर से पश्चिम बंगाल में भारत-बांग्लादेश सीमा
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