सर्वोच्च न्यायालय ने तमिलनाडु सरकार को राज्य के सभी स्कूलों में समान शिक्षा प्रणाली (समाचीर कालवी योजना) लागू करने के निर्देश 9 अगस्त 2011 को दिए. सर्वोच्च न्यायालय ने के करूणानिधि की द्रमुक सरकार द्वारा लागू समाचीर कालवी योजना को खत्म करने की याचिका खारिज करते हुए यह निर्णय दिया कि कोई भी नई सरकार राजनीतिक कारणों के चलते पिछली सरकार के योजनागत फैसलों को नहीं बदल सकती.
सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जेएम पांचाल, न्यायमूर्ति दीपक वर्मा और न्यायमूर्ति बीएस चौहान की तीन सदस्यीय पीठ ने इस व्यवस्था के पक्ष में मद्रास उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए यह निर्देश जारी किया. तीन सदस्यीय पीठ ने राज्य सरकार की सभी याचिकाएं खारिज करते हुए स्कूली शिक्षा की समान व्यवस्था बरकरार रखने के लिए 22 कारणों को अपने निर्णय में इंगित किया और आदेश दिया कि यह अधिनियम 10 दिन के अंदर लागू किया जाए.
सर्वोच्च न्यायालय ने साथ ही अपने निर्णय में यह भी बताया कि अगर न्यायालय किसी अधिनियम का अनुमोदन कर देती है, तो सरकार न्यायिक फैसले को प्रभावित करने के लिए दूसरे रास्तों का इस्तेमाल नहीं कर सकती है.
ज्ञातव्य हो कि तमिलनाडु सरकार ने मद्रास उच्च न्यायालय के 18 जुलाई 2011 के फैसले के विरोध में सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. इस याचिका में द्रमुक सरकार द्वारा लागू समान शिक्षा प्रणाली (समाचीर कालवी योजना) को स्तरहीन, गुणवत्ताविहीन और राजनीति से प्रेरित बताया गया था.
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