वर्ष 2014 के तख्तापलट के बाद थाईलैंड की जुंटा-निर्वाचित सुधार परिषद ने 6 सितंबर 2015 को नए विवादास्पद कानून का मसौदा नकार दिया. इससे देश में अप्रैल 2017 से पहले लोकतंत्र बहाल होने के आसार नहीं दिख रहे.
247 सदस्यों वाली राष्ट्रीय सुधार परिषद में इसे 135 मतों द्वारा नामंज़ूर किया गया जबकि इसके पक्ष में 105 वोट डाले गये, सात लोग अनुपस्थित रहे.
इस मसौदे को इसके एक खंड के कारण नामंज़ूर कर दिया गया जिसके अनुसार राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान एक 23 सदस्यीय समिति सरकार का कार्यभार संभालेगी.
मसौदे को वीटो द्वारा नकार दिया गया एवं राष्ट्रीय सुधार परिषद का कार्यकाल भी इसी के साथ समाप्त हो गया. इसके उपरांत एक 21 सदसीय संवैधानिक समिति का गठन किया जायेगा. यह समिति 180 दिनों में नया मसौदा सौंपेगी.
नयी समिति द्वारा मसौदा तैयार कर लेने के पश्चात् इसे चार महीने में जनमत संग्रह के लिए भेजा जायेगा. जब तक नया संविधान तैयार नहीं हो जाता सैन्य शासन बना रहेगा.
मई 2014 में पुराना संविधान प्रधानमंत्री यिंग्लक शिनावात्रा के शासन के तख्तापलट के बाद समाप्त कर दिया गया था. तब से अब तक सरकार एक कार्यकारी मसौदे के अधीन कार्यरत है.
1932 में पूर्ण राजशाही के अंत के बाद थाईलैंड में अनेक संविधान लाये जा चुके हैं. यदि नया संविधान गठित होता है तो यह देश का 20वां संविधान होगा.
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