दिल्ली में ऑड–ईवेन नियम और इसकी सफलता

Feb 6, 2016, 13:56 IST

प्रदूषण के बढ़ते खतरों और इसके विनाशकारी प्रभाव को देखते हुए दिल्ली सरकार ने ऑड– ईवेन यातायात नीति को पायलट आधार पर 1 जनवरी 2016 से 15 दिनों के लिए शुरु किया था. इस उपाय को वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए लागू किया गया था.

डब्ल्यूएचओ की हाल में जारी एक रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली दुनिया का सबसे प्रदूषित शहर है. दुनिया के इस पांचवें महानगर(मेगासिटी) की आबादी 25.8 मिलियन है और इसमें लगातार बढ़ोतरी हो रही है. एक अध्ययन के अनुसार इस बढ़ोतरी के साथ ही यहां की सड़कों पर वाहनों की संख्या 2030 तक 26 मिलियन हो जाएगी. साल 2010 में यहां वाहनों की संख्या 4.7 मिलियन ही थी. साल 2001 से 2011 में दिल्ली में ऊर्जा की कुल खपत में 57 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.

यूनाइटेड किंग्डम के यूनिवर्सिटी ऑफ सर्रे के शोधकर्ताओं द्वारा नीत एक टीम द्वारा दिल्ली में वायु प्रदूषण पर किए गए एक नए अध्ययन में यह पाया गया कि यह शहर भूगोल ( घिरा हुआ महानगर– लैंडलॉक्ड मेगासिटी), विकास, खराब ऊर्जा स्रोतों और प्रतिकूल मौसम के जहरीले मिश्रण से त्रस्त है जो इसके वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तरों को बढ़ावा देता है.

ऑड– ईवन नियम क्या है ?

उपरोक्त खतरों और इसके विनाशकारी प्रभाव को देखते हुए दिल्ली सरकार ने ऑड– ईवेन यातायात नीति को पायलट आधार पर 1 जनवरी 2016 से 15 दिनों के लिए शुरु किया था. इस उपाय को वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर नियंत्रण पाने के लिए लागू किया गया था जो राष्ट्रीय राजधानी में गहरे धुंध और वायु की खराब गुणवत्ता में योगदान देता है.

इस नियम के अनुसार, ईवेन (सम) तारीखों पर सिर्फ वही गाड़ियां शहर की सड़कों पर चल सकती थीं जिनके लाइसेंस नंबर प्लेट का आखिरी नंबर ईवन (सम) हो और ऑड तारीखों पर, लाइसेंस नंबर प्लेट के आखिली में ऑड संख्या (विषम संख्या) वाली गाड़ियों को सड़कों पर चलने की अनुमति दी गई थी.
यह नियम सोमवार– शनिवार को सुबह 8 बजे से शाम 8 बजे तक प्रभावी किया गया था. इस नियम का उल्लंघन करने वालों पर 2000 रुपयों का जुर्माना लगाया गया था.

सभी सीएनजी, इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों, दु–पहिया वाहनों, महिला चालकों, 12 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को ले जाने वाली महिला चालकों, वीआईपी वाहनों, आपताकालीन वाहनों जैसे एम्बुलेंस, अग्निशमन वाहन आदि को इस नियम के दायरे से बाहर रखा गया था.

ऑड– ईवेन नियम की सफलता के लिए विभिन्न स्तरों पर किए गए प्रयास

• सार्वजनिक परिवहन का रोजाना इस्तेमाल करने वालों के सहज, परेशानी मुक्त यात्रा को सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली सरकार ने सड़कों पर अतिरिक्त बसों का परिचालन कराया. राजधानी की सड़कों पर इसने 300 अतिरिक्त बसें चलवाईं.
• ट्विटर ने दिल्लीवालों को नजदीकी बस और मेट्रो स्टेशन के बारे में, हैशटैग #pollutionfreeDelhi  का उपयोग कर एवं मूल एवं गंतव्य स्थान दर्ज, कर  जानकारी प्राप्त करने में मदद की.
• ओला, उबेर ने कार पूलिंग सेवाओं की पेशकश की. ऑड–ईवेन दिन में दिल्लीवालों के लिए यह बहुत काम आया. वास्तव में ओला का ' CarPool' फीचर ने दिल्ली– एनसीआर में रहने वालों को अपनी निजी कारों का ओला के एप्प के जरिए पूल राइड करने की अनुमति दी.
• यहां तक कि नियम के 15– दिन के ट्रायल अवधि के दौरान दिल्ली मेट्रों ने अपनी सेवाओं को बढ़ाया और रोजाना 365 अतिरिक्त चक्कर लगाने के लिए 198 ट्रेनों का परिचालन किया.
• कार पूलिंग के लिए एमिटी इंटरनेशनल स्कूल के 13 वर्षीय छात्र ने www.odd-even.com नाम की वेबसाइट बनाई.  
दिल्ली सरकार इस वर्ष ऑड–ईवेन अभ्यास को एक बार नहीं बल्कि दो बार लाने की योजना बना रही है। दूसरे चरण का अप्रैल– मई 2016 में होने की संभावना है, इसमें महिलाओं के लिए दी गई पूर्व छूट को हटाया जा सकता है, जबकि तीसरा चरण अक्टूबर 2016 में संभावित है. इसमें दु–पहिया वाहनों को भी  योजना में शामिल किया जा सकता है.

ऑड– ईवन नियम की सफलता

• योजना की वजह से दिल्ली की सड़कों पर भीड़ कम थी. इसने लोगों को प्रदूषण के चपेट में खासकर उच्च कार घनत्व जैसे लाल– बत्तियों पर या उसके आस– पास के लोगों को,सीधे आने से बचाया.
• कारों की संख्या में कमी से नाइट्रोजन के ऑक्साइड्स, सल्फर डाइऑक्साइड और ब्लैक कार्बन– जो सड़क की धूल और वाहनों से निकलने वाले धुंए का मिश्रण है, जैसे गैसीय प्रदूषकों के स्तरों में कमी आई थी.
• दिल्ली सरकार के अनुसार ऑड– ईवन नीति के प्रभावी होने के बाद, मोबाइल एयर क्वालिटी सैम्पलिंग विधि द्वारा एकत्र किए गए आंकड़ों के पहले सेट से, यह 'उत्साहजनक' है. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) का कहना है कि औसतन सभी स्थानों पर 250 माइक्रोग्राम्स प्रति घन मीटर में पीएम 2.5 रहा और इसकी रेंज 109– 226 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर रही. मोबाइल मशीनों के आंकड़ों के अनुसार पीएम 10 की रेंज 149– 503 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर थी.
योजना की समस्या
• ऑटो और टैक्सी वाले अधिक किराए की मांग करने लगे और यात्रियों को परेशान करने लगे.
• आईआईटी कानपुर के अध्ययन के अनुसार प्रदूषण के स्रोतों के पदानुक्रम में कारों का स्थान चौथा है और ये दिल्ली की हवा के पीएम 2.5 में 20 फीसदी और पीएम 10 में 9 फीसदी का योगदान करते हैं. शहर का सबसे बड़ा प्रदूषक सड़क की धूल है जो पीएम 2.5 में 38 फीसदी और पीएम 10 में 56 फीसदी का योगदान करता है. दु–पहिया वाहन जिन्हें ऑड– ईवेन नियम से बाहर रखा गया था, वाहनों द्वारा उत्सर्जित सभी पीएम 10 और पीएम 2.5 में 33 फीसदी का योगदान करते हैं.

योजना की सफलता और समस्याओं के बारे में बहुत कुछ कहा गया लेकिन तथ्य अभी भी यही है कि दिल्ली के नागरिकों की प्रति व्यक्ति आमदनी लगातार बढ़ रही है. यह अभी 2.4 लाख सालाना के आस–पास है जो राष्ट्रीय औसत का तीन गुना है. यह मध्यम वर्ग और उनकी बढ़ती आकांक्षाओं की ओर इशारा करता है.

इसलिए जनता को शिक्षित करने और सार्वजनिक परिवहन के उपयोग के लाभों के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए भी प्रयास करने की जरूरत है.

इसके अलावा सिर्फ रोड स्पेस रोटेटिंग पॉलिसी के साथ समस्या का समाधान नहीं किया जा सकता. इसके लिए प्रभावी परिवहन नीति की भी जरूरत है.
हालांकि, ऑड–ईवन योजना न सिर्फ दिल्ली बल्कि पूरे भारत में  खासा प्रभावशाली रहा है. इसलिए ऑड–योजना की ट्रायल अवधि का देश पर एक से अधिक तरीकों से प्रभाव पड़ा है.

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