दिल्ली सरकार ने 26 नवंबर 2015 को श्रमजीवी पत्रकारों और अन्य समाचार पत्र कर्मचारी (सेवा शर्तें) और प्रकीर्ण उपबंध दिल्ली विधानसभा में (दिल्ली संशोधन) विधेयक 2015 पेश किया.
बिल के प्रस्तावित संशोधनों के अनुसार पत्रकारों द्वारा किसी भी उल्लंघन के लिए एक साल तक की कैद और 10,000 रुपए तक के जुर्माने की परिकल्पना की गई है.
बिल दिल्ली राज्य के श्रम मंत्री गोपाल राय ने विधानसभा में पेश किया गया. यह बिल दिल्ली में पत्रकारों और गैर पत्रकारों के लिए मजीठिया वेतन बोर्ड की कई सिफारिशों के कार्यान्वयन के रास्ते में आ रही खामियों को हटाने का प्रयास है.
विधेयक की मुख्य विशेषताएं-
• बिल मीडिया कमियों को पर्याप्त मुआवजा प्रदान करने में मदद करने का प्रयास है.
• बिल में अधिनियम का पालन न करने पर दंडात्मक प्रावधान को मजबूत करने का प्रस्ताव है.
• अधिनियम की धारा 18 में प्रस्तावित संशोधनों के सब्स्थान द्वारा कर्मचारी को उसकी मजदूरी का भुगतान न करने पर छह महीने की कैद और 5000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है
• यह अधिनियम की धारा 18 (1) और 18 (1 ए) का उल्लंघन करने वालों के लिए एक प्रभावी शक्ति संतुलन प्रदान करेगा. जो कारावास की सजा के रूप में अधिक कड़े दंडात्मक प्रावधान परिकल्पना की गई है.
• देश का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले व जनता की आवाज उठाने वाले पत्रकारों, वर्किंग जर्नलिस्ट की आवाज उठाने वाला इस देश में कोई नहीं है, बिल के माध्यम से पत्रकारों के लिए लागू मजीठिया वेजबोर्ड की सिफारिशों लागू करवाने के बाबत कार्य शुरू किया गया है.
अब तक किसी भी मीडिया संगठन ने राष्ट्रीय राजधानी में मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों को लागू नहीं किया है.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation