दिल्ली सरकार ने 16 अप्रैल 2015 को बड़े स्तर पर डीवार्मिंग कार्यक्रम का तीसरा चरण आरंभ किया. इस चरण में 3032 स्कूलों के 3.7 मिलियन बच्चों तथा 11,500 आंगनवाड़ियों को राज्यव्यापी अभियान के रूप में शामिल किया जायेगा.
यह तीसरा चरण वर्ष 2012 से आगे नहीं बढ़ पाया है. इसका आरंभ दिल्ली स्वास्थ्य सेवा निदेशालय तथा परिवार कल्याण विभाग सहित एविडेंस एक्शन डीवार्म की देख रेख में शुरू किया गया.
इस अभियान में एक चबाने वाली एल्बेंडाज़ोल गोली कक्षा 3 से कक्षा 12 वीं के छात्रों को दी जाएगी. नर्सरी के छात्रों को यह घोल कर पिलाई जाएगी.
एल्बेंडाज़ोल एक बेन्ज़िमिदाज़ोल दवा है जिसका प्रयोग परजीवी कृमि के उपचार के लिए किया जाता है. कार्यक्रम का तीसरा चरण राज्य स्तरीय अभियान के तहत नेशनल डीवार्मिंग डे के रूप में आरंभ किया गया.
केंद्र सरकार ने 10 फ़रवरी 2015 को नेशनल डीवार्मिंग डे घोषित किया है ताकि इस दिन बड़े स्तर पर स्कूल आधारित कार्यक्रम आरंभ कर के परजीवी कृमि के उपचार के लक्ष्य को हासिल किया जा सके.
भारत में मिट्टी से शरीर में प्रवेश करने वाले परजीवियों की स्थिति
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के आंकड़ों के अनुसार परजीवी कृमि भारत में एक महत्वपूर्ण स्वास्थ्य समस्या है जिसमें 1 से 14 वर्ष तक के 241 मिलियन बच्चे इससे प्रभावित हैं.
भारत में मिट्टी से शरीर में प्रवेश करने वाले परजीवियों की समस्या विश्व में सबसे अधिक है. यह बच्चों के शरीर में प्रवेश कर के एनीमिया, कुपोषण, मानसिक तथा शारीरिक विकास में रुकावट का कारण बनते हैं.
स्कूल में परजीवी कृमि की समस्या से निपटान को सर्वत्र सुरक्षित, सरल और लागत प्रभावी माना गया है. इससे होने वाला लाभ तत्काल तथा स्थायी होता है.
इसके नियमित उपचार से स्कूलों में 25% तक अनुपस्थिति कम हो सकती है तथा वयस्कों की आय में 20% तक वृद्धि हो सकती है.

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