विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में अब छात्रों को पटाखों के दुष्प्रभाव, इनका पर्यावरण पर प्रभाव, और प्रभावित वातावरण के बार में अध्ययन कराया जाएगा. यूजीसी के निर्देश पर स्नातक स्तर पर चलने वाले पर्यावरण अध्ययन के कोर्स में पटाखों के दुष्प्रभाव सम्बन्धी मॉड्यूल को भी शामिल किया जाएगा.
- यूजीसी ने यह निर्देश 16 दिसम्बर 2015 को सभी विश्वविद्यालयों को भेज दिया है.
- छात्रों को पटाखों से पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव के बारे में जागरूक करने के लिए और भी अन्य कदम उठाने की सलाह दी गई है.
- जिसमें विश्वविद्यालय और कॉलेजों में इस मुद्दे पर चर्चा करना, संगोष्ठी और कार्यशाला आयोजित करना आदि शामिल है.
- इसके हानिकारक प्रभाव को कैसे रोका जा सकता है? इस पर सुझाव व समाधान भी दिए जा सकते हैं.
- आसपास के लोगों को जागरूक करने के लिए शिक्षकों और छात्रों का एक समूह बनाया जाएगा जो इस मुद्दे पर प्रेजेंटेशन तैयार करेगा.
सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश
- यूजीसी ने यह निर्णय सर्वोच्च न्यायालय के 16 अक्तूबर के निर्देशों के बाद लिया.
- सर्वोच्च न्यायालय ने 16 अक्तूबर को पटाखों से होने वाले नुकसान पर चिंता जताई थी.
- पटाखों से निकलने वाले रसायन कई तरह से मनुष्य को नुकसान पहुंचाते हैं.
- अस्थमा के मरीजों को लिए यह काफी नुकसान दायक होता है. हार्मोन में असंतुलन पैदा करता है.
- पटाखों से निकलने वाले रसायन मृदा और पानी को भी नुकसान पहुंचाते है.
- पेरिस में पर्यावरण के मुद्दे आयोजित सम्मेलन में पृथ्वी के संरक्षण के मुद्दे पर हुई चर्चा का जिक्र किया गया है.
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