नासा अंतरिक्ष मलबे को साफ़ करने के लिए गेक्को ग्रिपर्स को विकसित कर रहा है

Dec 30, 2014, 16:16 IST

नासा की जेट प्रोपल्सन प्रयोगशाला (जेपीएल) में शोधकर्ताओं द्वारा अंतरिक्ष मलबे को साफ़ करने के लिए गेक्को ग्रिपर्स को विकसित किया जा रहा हैं.

पासाडेना, कैलिफोर्निया में नासा की जेट प्रोपल्सन प्रयोगशाला (जेपीएल) में शोधकर्ताओं द्वारा अंतरिक्ष मलबे जिसमें कक्षीय मलबे या ख़राब हो चुके उपग्रहों आदि वस्तुयें सम्मिलित हैं को साफ़ करने के लिए गेक्को ग्रिपर्स को विकसित करने हेतु प्रयास किया जा रहा हैं. गेक्को ग्रिपर मूल रूप से एक चिपकने वाला पदार्थ है. इस से संबंधित खबर को 19 दिसम्बर 2014 को जेट प्रोपल्सन प्रयोगशाला की वेबसाइट पर प्रकाशित किया गया था.

इस ग्रिप्पिंग प्रणाली को हारून परनेस जो एक जेपीएल में कार्य करने वाले एक रोबोटिक्स शोधकर्ता और ग्रिपर्स के लिए प्रमुख अन्वेषक है द्वारा विकसित किया गया है. यह प्रणाली गेको से प्रेरित है, जो छिपकलियों के एक गण गेक्कोटा से संबंधित हैं यह उष्णकटिबंधीय प्रदेशों में सामान्यतया पायी जाती हैं.

यह प्रणाली कैसे काम करती है
विकसित किये जा रहे गेक्को ग्रिपर्स पर सिंथेटिक बाल हैं जो गेको छिपकलियों के पैरों पर पाए जाने वाले छोटे बाल की तरह हैं. इन सिंथेटिक बालों को स्ताल्क्स भी कहा जाता हैं. ये पच्चर के आकार के हैं और दूसरी तरफ ये मशरूम के टोपी जैसे है.

ग्रिप्पिंग पैड हल्के से किसी वस्तु के हिस्से को छू लेती है तो बालों का केवल उपरी भाग किसी वस्तु को छू पाता हैं, ग्रिपर्स की चिपचिपाहट को प्रारंभ या बंद किया जा सकता हैं साथ ही इनकी दिशा भी परिवर्तित की जा सकती हैं.

गेक्को ग्रिपर्स की अस्थायी चिपचिपाहट वान डर वाल्स बल के प्रयोग के माध्यम से हासिल की जाती है. इस बल को नोबेल पुरस्कार विजेता भौतिक विज्ञानी योहानेस डिडरिक वान डर वाल्स के नाम पर रखा गया है. जब वान डर वाल्स बल को चिपकने वाला पैड पर लागू किया जाता है, तो सिंथेटिक बाल झुक जाते हैं.

इस तरह से बाल और सतह के बीच संपर्क का वास्तविक क्षेत्र बढ़ जाता है, जो अधिक से अधिक आसंजन के लिए संगत हैं. जब बल का प्रभाव समाप्त कर दिया जाता हैं तो बाल पुनः सीधे हो जाते हैं तथा इस प्रक्रिया से चिपचिपाहट बंद हो जाती है.

परमाणुओं के नाभिक की परिक्रमा करने वाले इलेक्ट्रॉनों का समान वितरण नहीं होने से हल्का विद्युतीय आवेश उत्पन्न होता हैं जिसके कारण ये अस्थायी चिपकने वाला बल उत्पन्न होता हैं. यह बल अत्यधिक तापमान, दबाव और विकिरण की स्थिति में भी जारी रह सकता हैं.

सफल प्रयोग  
जेपीएल में 30 से अधिक अंतरिक्ष यान की सतहों का परीक्षण ग्रिपर्स की सटीकता की जाँच करने के लिए किया जा चुका हैं. इससे पहले अगस्त 2014 में, एक परीक्षण उड़ान नासा के अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी मिशन निदेशालय द्वारा गेक्को ग्रिपर परियोजना को जांचने के लिए की गयी थी.
 
परीक्षण के दौरान नासा के सी – 9 बी की उड़ान के दौरान विमान पर सवार शोधकर्ताओं ने भारहीनता की संक्षिप्त अवधि में ग्रिपर्स का इस्तेमाल किया. परीक्षण के दौरान ग्रिपर्स एक 20 पौंड के घन जो तैर रहा था को पकड़ने में सफल रहा इसके साथ ही ग्रिपर्स अंतरिक्ष यान सामग्री पैनलों से बना एक बनियान पहने एक शोधकर्ता जो 250 पौंड वस्तु के बराबर था को पकड़ने में भी सफल रहा. इन ग्रिपर्स का जेपीएल थर्मल निर्वात चैम्बर में सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया है, कुल निर्वात की स्थिति और 76 डिग्री फारेनहाइट के नीचे (शून्य से 60 डिग्री सेल्सियस निचे) के तापमान जो अंतरिक्ष की शर्तों के अनुकरण करने के समान हैं.

इसका 30000 से अधिक चक्र में चालू और बंद करके परिक्षण किया गया, इसके बाद भी इसका चिपकाने का गुण अच्छे से कार्य करता रहा. उसके पश्चात् कई प्रोटोटाइप के डिजाइन तैयार किये जा चुके है.

गेक्को ग्रिपर का उपयोग
कक्षीय मलबे को साफ़ करने के अलावा, ये ग्रिपर्स अंतरिक्ष यान के निरीक्षण में मदद कर सकता है या छोटे उपग्रहों को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन से डॉकिंग में सहायता करते हैं. इस प्रणाली द्वारा  अंतरिक्ष में घूम रही वस्तुओं को आसानी से पकड़ा जा सकता हैं, अन्यथा उनको लक्षित करना कठिन होता हैं.

इस तरह के उपकरण की क्या जरूरत है
पृथ्वी की कक्षा में 3.9 इंच (10 सेंटीमीटर) से भी बड़े 21000 से अधिक टुकड़े कक्षीय मलबे से तैर रहे हैं. अमेरिकी अंतरिक्ष निगरानी नेटवर्क नियमित तौर पर इन वस्तुओं की निगरानी करता हैं. 2009 में, एक आकस्मिक टक्कर एक कार्यकारी संचार उपग्रह और मलबे के एक बड़े टुकडें के बीच हुई थी जिसमें उपग्रह नष्ट हो गया था.

 

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