सात वर्षों के श्रमसाध्य प्रयासों और विचार– विमर्श के बाद नेपाल की संविधान सभा ने 16 सितंबर 2015 को नए संविधान को मंजूरी दे दी और संविधान मसौदा की प्रस्तावना का समर्थन किया. संविधान का अनुच्छेद 301 संविधान के शीर्षक और लागू होने की तिथि को परिभाषित करता है.
601 सदस्यों वाले विधानसभा में 507-25 मतों से पास होने वाला नया संविधान देश को सात संघीय प्रांतों में विभाजित करता है.
नेपाली कांग्रेस, सीपीएन– यूएमएल और यूसीपीएन माओवादी के सांसदों ने संविधान के मसौदा का सर्मथन किया, हालांकि जातीय अल्पसंख्यक समूहों ने प्रातों के गठन, सीमाओं और आकार के आधार पर इसका विरोध किया.
हिन्दू– समर्थक और राजशाही राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी नेपाल समर्थक करीब 25 सांसदों ने विधेयक के खिलाफ वोट डाला.
अधिकांश मधेसी पार्टियां जिनकी कुल संख्या 60 है, ने छोटी विपक्षी पार्टियों समेत मतदान प्रक्रिया का बहिष्कार किया.
सांसदों द्वारा हस्ताक्षर किए जाने के बाद विधेयक नेपाल का नया चार्टर बन जाएगा और संविधान सभा के अध्यक्ष सुभाष नेमवांग इसकी पुष्टि करेंगे. इस काम के 20 सितंबर 2015 को किए जाने की संभावना है.
इस पुष्टिकरण के बाद राष्ट्रपति राम बरन यादव जनता द्वारा निर्वाचित संप्रभु देश के माध्यम से नए संविधान के लागू होने की घोषणा करेंगे.
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