केंद्र सरकार ने 15 सितंबर 2015 को अवैधानिक गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत नगा उग्रवादी संगठन नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड-खापलांग गुट (एनएससीएन-के) को पांच वर्षों के लिए एक अवैधानिक संगठन घोषित किया.
भारत सरकार ने वांगटिन नगा के अंतर्गत नवगठित एनएससीएन/रिफार्मेशन के साथ 27 अप्रैल 2015 को युद्ध विराम पर और 3 अगस्त, 2015 को एनएससीएन (आईएम) के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए. इसके बाद से ही खापलांग समूह अपने म्यांमार स्थिति बेस से भारतीय सशस्त्र बलों पर लगातार हिंसक हमले कर रहा है.
ये हिंसक गतिविधियां निम्नरलिखित हैं-
- 26 मार्च 2015 को भारतीय सुरक्षाकर्मियों पर एनएससीएन (के) काडरों द्वारा अंधाधुंध फायरिंग
- वोखा जिले के वोखा टाउन पुलिस स्टेरशन के अधीन पीडब्यूडी कालोनी में बम विस्फोट
- कोहिमा जिले में एनएच-29 पर सीआरपीएफ कैंप के निकट लेरी कालोनी में 15-16 अप्रैल, 2015 को दो आईईडी विस्फोिट
- मॉन जिले में टोबू पुलिस स्टेशन के अंतर्गत चांगलांग शू गांव में सुरक्षा बलों के दल पर घात लगाकर हमला, जिसमें सुरक्षा बलों के आठ कर्मी शहीद हुए
- मणिपुर के चंदेल जिले में 4 जून, 2015 को सुरक्षा बल कर्मियों पर घात लगाकर हमला, जिसमें 18 सैन्यकर्मी शहीद हुए
नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (एनएससीएन) के बारे में
- नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (एनएससीएन) की स्थापना इसाक चिशी स्वू, थुइंगलेंग मुइवा और एस. एस. खापलांग द्वारा जनवरी 1980 में की गई थी.
- विदित है कि भारत सरकार के साथ वार्ता प्रक्रिया में शामिल होने को लेकर नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड (NSCN) वर्ष 1988 में दो गुटों में बंट गया- नेशनल सोशलिस्ट काउंलिस ऑफ नागालैंड इसाक मुइवा (एनएससीएन-के) और नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड खापलांग (एनएससीएन- आईएम).
- वर्ष 2001 में, दोनों गुटों ने केंद्र सरकार के साथ संघर्ष विराम समझौते पर हस्ताक्षर किए.
- एनएससीएन (के) का मुख्यालय म्यांमार के टागा में स्थित है और एनएससीएन-खापलांग के पास करीब 1000 कार्यकर्ताओं के होने का अनुमान है.
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