केंद्रीय सूचना आयोग ने 29 अप्रैल 2012 को कानून मंत्रालय को निर्देश दिया कि न्यायाधीशों के विरुद्ध शिकायतों को सार्वजनिक किया जाए. साथ ही शिकायतों से संबंधी उच्चतम न्यायालय तथा उच्च न्यायालयों को भेजे गए पत्रों को भी सार्वजनिक किया जाए.
केंद्रीय सूचना आयोग ने आरटीआइ कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय दिया कि याचिकाकर्ता को एक वर्ष पूर्व की तारीख से ऐसे शिकायत पत्रों को उपलब्ध कराया जाए. आदेश में यह भी बताया गया कि इस संबंध में अधिकारियों से तीन वर्ष तक रिकार्ड पर नजर रखने और किसी भी आवेदक को इसे देने का प्रबंध किया जाए. सूचना आयुक्त सुषमा सिंह ने कानून मंत्रालय को इस तरह से रिकार्ड रखने का निर्देश भी दिया कि आवेदकों के अनुरोध पर इन्हें दिया जा सके.
ज्ञातव्य हो कि कानून मंत्रालय ने इससे पूर्व स्पष्ट किया था कि इस तरह की शिकायतों की प्रति नहीं दी जा सकती क्योंकि इन शिकायतों को भारत के मुख्य न्यायाधीश तथा संबंधित मामलों में उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों को भेजा जाता है. साथ ही मंत्रालय के अधिकारी इन शिकायतों का कोई रिकार्ड नहीं रखते.
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