सर्वोच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में यह बताया कि न्यायालय सड़क दुर्घटना पीड़ितों को ज्यादा मुआवजा दिलाने में सक्षम हैं. सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी व न्यायमूर्ति एके गांगुली की पीठ ने यह निर्णय 1 नवंबर 2011 को दिया, जिसमें पीड़ित की 4.20 लाख की मांग के मुकाबले 5.62 लाख रुपये का मुआवजा देने का बीमा कंपनी को आदेश दिया गया.
सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने अपने निर्णय में बताया कि सड़क दुर्घटना पीड़ित इंसान सिर्फ इलाज खर्च, नौकरी की कमी या विकलांगता के अलावा भी अन्य कष्ट झेलता है, जिसके लिए वह मुआवजे का हक़दार है. अन्य कष्टों में सर्वोच्च न्यायालय ने विकलांगता के कारण विवाह की कम हुई संभावनाओं व मानसिक पीड़ा को जोड़ा.
ज्ञातव्य हो कि वर्ष 1996 में संजय बाथम सड़क दुघर्टना में घायल होकर लकवाग्रस्त हो गए थे. मई 1996 में संजय बाथम ने वाहन दुर्घटना न्यायाधिकरण में याचिका दाखिल कर 4.20 लाख रुपये मुआवजे की मांग की थी. जबकि वाहन दुर्घटना न्यायाधिकरण ने मात्र 25 हजार मुआवजा दिलाया था. इसमें 5 हजार कमाई बंद होने के, 10 हजार इलाज खर्च के, 5 हजार दुर्घटना की पीड़ा के और 5 हजार विशेष आहार के मद में थे.
संजय बाथम ने वाहन दुर्घटना न्यायाधिकरण के निर्णय के विरुद्ध मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने मुआवजे राशि को बढ़ाकर ढाई लाख रूपये कर दी थी. संजय बाथम ने उच्च न्यायालय के इस निर्णय के विरुद्ध सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की. सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में पीड़ित संजय बाथम द्वारा मांगी गई मुआवजे राशि (4.20 लाख रुपये) को बढ़ाते हुए इसे 5.62 लाख रुपये कर दिया, जिसमें पीड़ित की कमाई बंद होने के लिए 162000 रुपये, भविष्य में इलाज पर होने वाले खर्च के लिए 2 लाख रुपये और विकलांगता के कारण विवाह की कम हुई संभावनाओं व मानसिक पीड़ा के लिए 2 लाख रुपये और मुआवजे में जोड़ दिए.
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