पर्यावरणविद् और सामाजिक कार्यकर्ता चंडी प्रसाद भट्ट को 15 जुलाई 2014 को वर्ष 2013 के प्रतिष्ठित गांधी शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया. उन्हें राष्ट्रपति भवन, नई दिल्ली में एक समारोह में भारत के राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा सम्मानित किया गया.
अस्सी वर्षीय भट्ट गांधीवादी, पर्यावरणविद् और एक सामाजिक कार्यकर्ता है. उन्होंने ग्रामीणों के जीवन में सुधार के लिए स्वयं को समर्पित कर दिया. वह अहिंसक साधनों के माध्यम से जंगलों पर सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ लड़ने वाले व्यक्ति हैं.
चंडी प्रसाद भट्ट के बारे में
- चंडी प्रसाद भट्ट को वर्ष 2005 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया.
- वर्तमान में उनको भारत के पहले आधुनिक पर्यावरणविद् के रूप में माना जाता है.
- चंडी प्रसाद भट्ट को सामाजिक पारिस्थितिकी पर अपने काम के लिए जाना जाता है
- भट्ट ने वर्ष 1964 में गोपेश्वर में दशोली ग्राम स्वराज्य संघ (डीजीएसएस) की स्थापना की.
- बाद में, डीजीएसएस चिपको आंदोलन का सूत्रदार संगठन बन गया, भट्ट को वर्ष 1982 में सामुदायिक नेतृत्व के लिए रेमन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
- भट्ट का जन्म गोपेश्वर (उत्तराखंड में अब) में 23 जून 1934 को हुआ था.
चंडी प्रसाद भट्ट द्वारा लिखित पुस्तकें
- प्रतिकार के अंकुर (हिन्दी) अधूरे ज्ञान और काल्पनिक विश्वास के अनुसार हिमालय से छेड़खानी घातक (हिन्दी)
- हिमालय में बड़ी परियोजनाओं का भविष्य
- मध्य हिमालय का पारिस्थितिकी तंत्र
- चिपको अनुभव
- पर्वत पर्वत बस्ती बस्ती
गांधी शांति पुरस्कार के बारे में
गांधी शांति पुरस्कार भारत सरकार द्वारा दिया जाता है और महात्मा गांधी की 125 वीं जयंती के अवसर पर वर्ष 1995 में स्थापित किया गया था. यह एक वार्षिक पुरस्कार है. इसके अंतर्गत एक पट्टिका, प्रशस्ति पत्र और एक करोड़ रूपए का नकद पुरस्कार दिया जाता है.
यह पुरस्कार सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में अहिंसा और महात्मा गांधी के अन्य तरीकों से उनके योगदान के लिए व्यक्तियों और संस्थाओं को दिया जाता है.
पुरस्कार के पिछले प्राप्तकर्ताओं में शामिल
- जूलियस के न्येरेरे, तंजानिया के पूर्व राष्ट्रपति (वह वर्ष1995 में इस पुरस्कार के पहले प्राप्तकर्ता थे.)
- नेल्सन मंडेला, दक्षिण अफ्रीका के पूर्व राष्ट्रपति.
- एटी अरियारत्ने, श्रीलंका में सर्वोदय श्रमदान आंदोलन के संस्थापक अध्यक्ष.
- जर्मनी में राम कृष्ण मिशन के गेरहार्ड फिशर.
- भारत के एक सामाजिक कार्यकर्ता बाबा आम्टे (मुरलीधर देवीदास आम्टे), कुष्ठ रोग से पीड़ित गरीब लोगों के पुनर्वास और सशक्तिकरण के अपने काम के लिए विशेष रूप से जाना जाता है.
- आर्कबिशप डेसमंड टूटू, दक्षिण अफ्रीका के कार्यकर्ता (2005 में पुरस्कार प्राप्त).
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