पिछले एक दशक (वर्ष 2000 से 2009) में भारत में कुल 1555 हजार करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार हुआ और इसका एक बड़ा हिस्सा अवैध तरीके से भारत के बाहर भेज दिया गया. मनी लांड्रिंग के संदर्भ में भारत में भ्रष्टाचार का आकार सुनिश्चित करने के बारे में आई अपने ढंग की इस पहली रिपोर्ट के अनुसार, एक व्यक्ति को वर्ष 2009 में दो हजार से अधिक रुपये रिश्वत के तौर पर देने पड़े.
महाराष्ट्र के पुणे की इंडिया फोरेंसिक नामक कंपनी की यह रिपोर्ट जुलाई 2011 के तीसरे सप्ताह में जारी की गई. इस रिपोर्ट का नाम है - मनी लांड्रिंग के संदर्भ में भारत में भ्रष्टाचार का आकार (Ascertaining size of corruption in India with respect to money laundering).
रिपोर्ट के अनुसार इस अवधि में रिश्वतखोरी 836 रुपये से बढ़कर 2218 रुपये प्रति व्यक्ति प्रति वर्ष हो गई. साथ ही पिछले दशक में भारत से मनी लांड्रिंग के जरिए कम से कम 1886 हजार करोड़ रुपये बाहर के मुल्कों में भेजे गए। यदि मनी लांड्रिंग को जीडीपी आधारित मॉडल में बदलकर भारत में भ्रष्टाचार की रकम निर्धारित की जाए तो यह रकम 1555 हजार करोड़ रुपये है.
महाराष्ट्र के पुणे की इंडिया फोरेंसिक नामक कंपनी जालसाजी, सुरक्षा, जोखिम प्रबंधन और फोरेंसिक अकाउंटिंग रिसर्च की अग्रणी कंपनी है. यह कंपनी सीबीआइ जैसी जांच एजेंसियों को कई बड़े मामलों की जांच में मदद करती रही है. कंपनी द्वारा जारी यह नई रिपोर्ट राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो(एनसीआरबी) के आंकड़ों पर आधारित है.
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