पीजे नायक के नेतृत्व वाली विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट भारतीय रिज़र्व बैंक को 14 मई 2014 को प्रस्तुत की. समिति ने अपनी रिपोर्ट में निम्नलिखित सिफारिशें की हैं.
समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
• इस समिति ने सिफारिश की है कि सरकार को सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अपनी हिस्सेदारी घटाकर पचास प्रतिशत से कम कर देनी चाहिए.
• सभी बैंकों को कंपनी अधिनियम के तहत लाकर एक बैंक निवेश कंपनी गठित की जानी चाहिए जिससे सभी बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी डाल दी जाए.
• समिति ने बैंक अध्यक्षों के कार्यकाल की न्यूनतम समय-सीमा पांच वर्ष और कार्यकारी निदेशकों का न्यूनतम कार्यकाल तीन वर्ष निर्धारित करने की सिफारिश की.
विदित हो कि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा एक्सिस बैंक के पूर्व अध्यक्ष और मुख्य कार्यपालक अधिकारी पीजे नायक की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समिति 20 जनवरी 2014 को गठित की गई थी. इसका उद्देश्य भारत में बैंकों के निदेशक-मंडलों के अभिशासन की समीक्षा करना था. समिति में आठ अन्य सदस्य एस. रमन, शुभलक्ष्मी पनसे, प्रतीप कार, जॉयदीप सेनगुप्ता, हर्ष वर्धन, सोमशेखर सुंदरेसन, जे. सागर और कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन हैं.
पीजे नायक समिति से पहले, भारतीय रिज़र्व बैंक ने ऐसा ही एक पैनल वर्ष 2002 में एएस गांगुली की अध्यक्षता में गठित किया था और उससे निदेशक-मंडलों के सदस्यों की भूमिका को और अधिक प्रभावशाली बनाने के तरीके ढूँढ़ने के लिए सुझाव देने को कहा था. उसके द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट मुख्यत: निजी बैंकों पर लागू हुई थी.
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