पेट्रोलियम संबंधी अंधाधुंध खनन जल्दी-जल्दी और अधिक तीव्रता के भूकंप आने का प्रमुख कारण है. अमेरिका के जीयोलॉजिकल सर्वे की एक शोध के अनुसार पेट्रोलियम पदार्थों यानी तेल और गैस के लिए किए जाने वाले बेहिसाब खनन से भूमिगत कूंओं में जल की कमी हो जाती है. भूमिगत कूंओं में जल की कमी जल्दी-जल्दी और अधिक तीव्रता के भूकंप आने का प्रमुख कारण बताया गया.
अमेरिका के जीयोलॉजिकल सर्वे की रिपोर्ट में बताया गया कि खनन की प्रक्रिया के दौरान पत्थरों के नीचे से तेल और गैस निकालने से पहले बहुत सारा तेलयुक्त और गदला पानी बाहर निकाला जाता है. यह पानी बाहर निकलकर तो किसी काम का नहीं रहता है लेकिन जमीन के नीचे यह चट्टानों के बीच संतुलन बनाने का काम करता है. जीयोलॉजिकल सर्वे के आकड़ों के अनुसार अमेरिका में पिछले कुछ ही सालों में दस फीसदी तेल और पंद्रह फीसदी गैस निकाली जा चुकी है. रिपोर्ट में यह स्पष्ट किया गया कि इसी दौरान तीन रिक्टर स्केल के भूकंप अमेरिका में काफी अधिक बढ़ गए. तीन रिक्टर स्केल की तीव्रता का भूकंप वर्ष 2008 में 29 बार आया था जबकि वर्ष 2011 में इसकी संख्या बढ़कर 134 हो गई थी.
रिपोर्ट में हालांकि अमेरिका के जीयोलॉजिकल सर्वे ने भूकंप की एकमात्र वजह तेल खनन नहीं बताई. फिर भी यह स्पष्ट किया कि भूमिगत जल बर्बाद किए जाने से ही चट्टानों के बीच घर्षण बढ़ा है. भूमिगत चट्टानों के बीच दबाव बढ़ा है.
ज्ञातव्य हो कि अमेरिका के ओहियो प्रांत के यंगस्टन क्षेत्र में लगातार 11 भूकंप, ब्रिटिश कोलंबिया के एटैचको क्षेत्र में 2009 से 2011 के बीच 31 बार भूकंप, और फोर्ट नेलसन के उत्तरी क्षेत्र में सात भूकंप दर्ज किए गए हैं.
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