Environment and Forest ministry has given final clearance to South Korean company Posco's plan to build a steel plant in Orissa. पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (Environment and Forest ministry) ने दक्षिण कोरियाई कंपनी पॉस्को (POSCO) की उड़ीसा में प्रस्तावित इस्पात संयंत्र को सशर्त अंतिम मंजूरी 2 अप्रैल 2011 को प्रदान की. पर्यावरण एवं वन मंत्रालय के इस निर्णय से पॉस्को (POSCO) को उड़ीसा के जगतसिंहपुर जिले में 1253 हेक्टेयर वन भूमि का अपनी परियोजना के लिए उपयोग करने का अधिकार मिला.
पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (Environment and Forest ministry) ने भारत में अब तक के सबसे बड़े प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (पॉस्को इस्पात संयंत्र निवेश परियोजना) के लिए कुछ शर्तें भी लगाई हैं. इनमें सबसे बड़ी शर्त यह है कि पॉस्को कंपनी (POSCO) उड़ीसा से कच्चे माल यानी लौह अयस्क का निर्यात नहीं कर सकती. इसके अलावा वन्य क्षतिपूर्ति के तौर पर वन लगाने के अलावा पॉस्को जिले में समान रूप से खुला वन क्षेत्र विकसित करना भी शामिल है. खुला वन क्षेत्र विकसित करने का जगह उड़ीसा राज्य सरकार को तय करना है, जबकि उसका सारा खर्चा पॉस्को (POSCO) को उठाना है.
पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (Environment and Forest ministry) ने दक्षिण कोरियाई कंपनी पॉस्को (POSCO) की उड़ीसा में प्रस्तावित इस्पात संयंत्र को आदिवासियों के अधिकार और क्षतिपूर्ति के तौर पर वनीकरण सुनिश्चित कराने की 60 शर्तें लगाते हुए 31 जनवरी 2011 को इस परियोजना को मंजूरी दी थी. 2 अप्रैल 2011 को पॉस्को (POSCO) परियोजना के लिए वन भूमि परिवर्तन को मंजूरी दी गई.
ज्ञातव्य हो कि उड़ीसा राज्य सरकार और पॉस्को (POSCO) के बीच वर्ष 2005 में 1.20 करोड़ टन सालाना क्षमता का इस्पात संयंत्र लगाने पर समझौता हुआ था. दोनों पक्षों के बीच हुए करारनामे में लौह अयस्क का निर्यात करने का भी प्रावधान था. हालांकि इस समझौते की अवधि जून 2010 में ही समाप्त हो गई थी. पर्यावरण एवं वन मंत्रालय (Environment and Forest ministry) से मंजूरी मिल जाने के बाद अब पॉस्को और उड़ीसा राज्य सरकार को नए दिशा निर्देशों के अनुसार नए सिरे से समझौता करना होगा.
दक्षिण कोरियाई कंपनी पॉस्को (POSCO) की उड़ीसा में प्रस्तावित इस्पात संयंत्र परियोजना से राज्य में करीब 54 हजार करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आएगा (FDI: एफडीआइ: foreign direct investment) जिसे भारत का अब तक का सबसे बड़ा एफडीआइ माना जा रहा है.
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