प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हरियाणा के फतेहाबाद जिले में 2,800 मेगावाट क्षमता वाले परमाणु ऊर्जा संयंत्र की नींव 13 जनवरी 2014 को रखी. इसका नाम अणु विद्युत परियोजना है.
इस परियोजना में 700 मेगावाट क्षमता वाली चार इकाईयां होंगी. इसके निर्माण कुल लागत 23,502 करोड़ रुपये हैं.
यह संयंत्र प्रेशराइज्ड भारी जल रिएक्टर्स (पीएचडब्ल्यूआर) होंगे जो प्राकृतिक यूरेनियम को ईंधन और भारी जल को शीतलक एवं मोडरेटर दोनों की तरह इस्तेमाल करेगें. न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) इन रिएक्टरों का निर्माण करेगी.
यह हरियाणा की पहली नाभिकीय परियोजना है. दूसरे चरण में एनपीसीआईएल हरियाणा के गोरखपुर में 700 मेगावाट क्षमता वाले दो और पीएचडब्ल्यूआरएस का निर्माण करेगी.
यह परमाणु संयंत्र इस क्षेत्र के विकास की गति को तेज करेगी और इससे रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे.
एनपीसीआईएल पहले से ही 700 मेगावाट क्षमता वाले चार पीएचडब्ल्यूआरएस – गुजरात के काकरापारा में दो इकाई और राजस्थान के रवातभाटा में दो इकाई, का निर्माण कर रही है. काकरापार में बन रही इकाईयां निर्माण के आखिरी दौर में हैं और 2016 से इनके काम करने का अनुमान है.
न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड
न्यूक्लियर पावर कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एनपीसीआईएल) भारत की वाणिज्यिक परमाणु ऊर्जा संयंत्रों के निर्माण और संचालन के लिए जिम्मेदार एकमात्र संस्थान है. सात स्थानों पर कम्पनी के 21 परमाणु रिएक्टर काम कर रहे हैं. परमाणु रिएक्टरों की कुल स्थापित क्षमता 5780 मेगावाट है.
भारत के त्रिस्तरीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम
भारत के त्रिस्तरीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की शुरूआत 1950 के दशक में डॉ. होमी भाभा ने की थी. योजना का उद्देश्य दक्षिण भारत के तटीय क्षेत्रों में पाए गए यूरेनियम और थोरियम भंडार का इस्तेमाल कर दीर्घकाल में देश की ऊर्जा स्वतंत्रता को सुरक्षित करना था.
कार्यक्रम के चरण
कार्यक्रम के तीन चरण है.
• पहले चरण में प्रेशराइज्ड हेवी वाटर रिएक्टर्स (पीएचडब्ल्यूआर) होते हैं.
• दूसरे चरण में फास्ट ब्रीडर रिएक्टर्स (एफबीआर) होते हैं.
• तीसरे चरण में एडवांस्ड हेवी वाटर रिएक्टर्स (एएचडब्ल्यूआर) होते हैं.
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