प्राइस वाटरहाउस कूपर्स (पीडब्ल्यूसी) ने भारतीय अर्थव्यवस्था को लेकर 24 नवंबर 2014 को रिपोर्ट जारी की. फ्यूचर ऑफ इंडिया - द विनिंग लीप के नाम से जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में इस समय आर्थिक एवं सामाजिक सुधारों की जो लहर चल रही है, वह यदि बरकरार रही तो कुछ ही वर्ष में अर्थव्यवस्था की विकास दर 9 फीसदी वार्षिक हो जाएगी. इसी के साथ दो दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 619000 अरब रुपये (10 ट्रिलियन डॉलर) तक पहुंच जाएगा. अगर ऐसा होता है तो वर्ष 2034 तक अमेरिका और चीन के बाद भारत की अर्थव्यवस्था विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था हो जाएगी. भारत को ये लक्ष्य हासिल करने के लिए अगले 20 वर्ष तक वृद्धि दर में विकास के साथ-साथ शिक्षा और स्वास्थ्य जैसे सेक्टर में भारी निवेश करना होगा.
पीडब्ल्यूसी ने भारत और दुनिया के 80 अर्थशास्त्रियों, निवेशकों और कारोबारियों से बातचीत के आधार पर इस रिपोर्ट को तैयार किया.
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
यदि सकल घरेलू उत्पाद की दर 9 फीसदी पर पहुंचती है तो भारत में प्रति व्यक्ति आय वर्तमान 1500 डॉलर प्रति वर्ष से बढ़कर 7000 डॉलर प्रति वर्ष हो जायेगा. ऐसे में 1.25 अरब से ज्यादा लोगों के जीवन शैली में बदलाव आएगा.
यह रिपोर्ट 10 क्षेत्रों के अध्ययन पर आधारित है. इनमें शिक्षा, स्वास्थ्य रक्षा, कृषि, रिटेल, बिजली, विनिर्माण, वित्तीय सेवाएं, शहरीकरण आदि शामिल हैं. भारत में तेजी से मध्य वर्ग उभर रहा है. इसके साथ ही डिजिटल तौर पर सक्षम एक युवा जन सांख्यिकीय संरचना तैयार की जा रही है जिसके माध्यम से बेहतर आर्थिक, सामाजिक जीवन जीने के लक्ष्य को सुगमता से हासिल किया जा सकता है.
भारत अपने सवा सौ करोड़ लोगों के लिए एक समान समृद्धि का निर्माण कर सकता है. आने वाले दशक में हर वर्ष एक से सवा करोड़ रोजगार के अतिरिक्त अवसर सृजित होंगे, बशर्ते कि इसके लिए कंपनी और उद्यमी एक साथ मिल कर काम करें. सरकार के लिए यह भी आवश्यक है कि वह राष्ट्रीय मंचों के जरिये ऐसी योजनाओं को समर्थन दे तथा व्यवसाय सूचकांक तैयार करने की प्राविधि को और सरल बनाने की प्रक्रिया को बढ़ावा दे.
भारत द्वारा उच्च विकास दर के लक्ष्य को हासिल करने में कंपनियां अकेले काम करें, तो सफल नहीं हो सकती हैं. सफलता तभी मिलेगी, जब उद्यमी भी उनके साथ कंधे से कंधा मिला कर काम करें. क्योंकि उद्यमियों में खोजपरक समाधानों के विकास के लिए महत्वपूर्ण गुण, जोखिम उठाने की इच्छा शक्ति, त्वरित निर्णय लेने की अभिरुचि एवं निडरता आदि गुण सहजात होते हैं.
भारत में तेजी से मध्य वर्ग उभर रहा है. इसके साथ ही एक युवा जन सांख्यिकीय संरचना तैयार हो रही है, जो कि डिजिटल तौर पर सक्षम है. यह बेहतर आर्थिक और सामाजिक विकास को हासिल करने हेतु भारत के लिए एक अवसर है.
अगले 20 वर्ष में भारत की अर्थव्यवस्था 10 ट्रिलियन डॉलर (10 लाख करोड़ डॉलर) हासिल करने के लिए 9 फीसदी की सालाना आधार पर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि से आगे बढ़ना होगा. प्राइस वाटरहाउस कूपर (पीडब्ल्यूसी) की ताजा रिपोर्ट फ्यूचर ऑफ इंडिया द विनिंग लीप में बताया गया है कि इन आंकड़ों को छूना कैसे संभव है.
रिपोर्ट के अनुसार जीडीपी में मैन्यफैक्चरिंग के क्षेत्र में में वर्ष 2014 तक 12 फीसदी हिस्सा बढ़ेगा. रिटेल सेक्टर की संगठित क्षेत्र की जीडीपी में हिस्सेदारी वर्ष 2034 में 50 फीसदी हो जाएगी. कृषि के क्षेत्र में वर्ष 2034 में 7.4 टन प्रति हेक्टेयर की दर से उत्पादकता बढ़ेगी एवं शिक्षा के क्षेत्र में स्कूल में बच्चों को पढ़ाने की अवधि वर्ष 2034 तक 10 वर्ष हो जाएगी. स्वास्थय के क्षेत्र में वर्ष 2034 तक लोगों की उम्र 80 वर्ष तक बढ़ेगी. ऊर्जा के क्षेत्र में वर्ष 2034 तक बिजली 100 फीसदी लोगों के पास उपलब्ध हो जाएगी. शहरी इलाकों के आधुनिकीकरण की सुविधा वर्ष 2034 तक 65 करोड़ लोगों के पास उपलब्ध हो जाएगी. डिजिटल कनेक्टिविटी के अंतर्गत नेटवर्क का विस्तार वर्ष 2034 तक 80 फीसदी लोगों तक पहुँच जायेगा. फाइनेंशियल सर्विसेज के क्षेत्र में लोगों के पास बैंकिंग सुविधा 90 फीसदी तक उपलब्ध हो जाएगी.
पीडब्ल्यूसी ने अपनी रिपोर्ट विनिंग लीप में कहा है कि 9 फीसदी की जीडीपी हासिल करने के लिए बिजनेस से लेकर कारोबारी, निवेशक और सरकारी नेताओं को एक साथ कदम उठाने होंगे. इन सभी को संयुक्त रूप से नए समाधान निकालने होंगे. इतना ही नहीं, भारत में टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल को भी बढ़ाना होगा. रिपोर्ट के मुताबिक, अगर भारत के प्रमुख सेक्टर की चुनौतियां हल हो पाती हैं तो ही जीडीपी की ग्रोथ रेट 9 फीसदी पर पहुंच सकती है.
रिपोर्ट में तीन संकल्पनाओं को सामने रखा गया है.
पहली संकल्पना
पुराने तरीकों से शिक्षा, स्वास्थ्य और ह्यूमन कैपिटल से जुड़े अन्य सेक्टर्स में निवेश करने से भारत की जीडीपी वर्ष 2034 तक 6.6 फीसदी की सालाना के साथ आगे बढ़ेगी.
दूसरी संकल्पना
इंफ्रास्ट्रक्चर पर बड़े पैमाने पर निवेश करने से वर्ष 2034 तक जीडीपी 7 ट्रिलियन तक पहुंच सकती है.
तीसरी संकल्पना
विनिंग लीप में ह्यूमन और फिजिकल कैपिटल दोनों में निवेश करने पर जोर दिया जाये. इसके अलावा, आरएंडडी और इनोवेशन में निवेश की दर बढ़ाने की जरूरत है. अगर ऐसा होगा तो वर्ष 2034 तक जीडीपी 9 फीसदी पर पहुंच सकती है. इस तरीके से काम करने पर अगले 20 वर्ष में भारत की बढ़ती जनसंख्या को 24 करोड़ नई नौकरियां मिल सकती हैं.
प्राइस वॉटर हाउस कूपर्स (पीडब्ल्यूसी) के बारे में
प्राइस वॉटर हाउस कूपर्स (या पीडब्ल्यूसी) दुनिया की सबसे बड़ी प्रोफेशनल सर्विसेज फर्मों में से एक और चार बड़ी लेखा फर्मों में से सबसे बड़ी फर्म हैं. इसका गठन वर्ष 1998 में प्राइस वॉटरहाउस और कूपर्स एंड लेब्रैंड, दोनों लंदन में गठित हुईं कंपनियों के बीच विलय के बाद किया गया. प्राइस वॉटर हाउस कूपर्स की तीन मुख्य सेवा क्षेत्र हैं आश्वासन सेवाएं, टैक्स सलाहकार, (अंतरराष्ट्रीय कर योजना और कानूनों के अनुपालन के साथ स्थानीय कर, मानव संसाधन परामर्श और हस्तांतरण मूल्य निर्धारण), सलाहकार - मुख्य रूप से परामर्श गतिविधियां, जिनमें रणनीति, प्रदर्शन सुधार, लेनदेन सेवाएं, व्यापार रिकवरी सेवाएं, कॉर्पोरेट वित्त, व्यापार) मूल्यांकन और लेखा और सधार जैसे विशेष क्षेत्रों की रेंज में आपदा प्रबंधन आदि.
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