बिहार मंत्रिपरिषद ने वित्तीय वर्ष 2011-12 से स्थानीय क्षेत्र विकास विधायक और विधानपार्षद निधि (एमएलएएलएडी निधि) को समाप्त करने की मंजूरी 14 दिसंबर 2010 को प्रदान की. इसी मंजूरी के साथ बिहार एमएलएएलएडी निधि को समाप्त करने वाला भारत का पहला राज्य बन गया. एमएलएएलएडी निधि को समाप्त करने का उद्देश्य प्रशासनिक भ्रष्टाचार को रोकना है. बिहार मंत्रिपरिषद ने बिहार को वर्ष 2015 तक विकसित राज्य बनाने के लिए एक कार्ययोजना भी तैयार की.
विदित हो कि राज्य की विधानसभा में 243 और विधान परिषद में 75 सदस्य हैं. इस तरह बिहार में कुल मिलाकर 318 विधायक हैं. प्रत्येक विधायक को अपने क्षेत्र में स्वेच्छा से चुनी गई विकास योजनाओं पर प्रति वर्ष एक-एक करोड़ रूपए ख़र्च करने का अधिकार था.
बिहार में स्थानीय क्षेत्र विकास विधायक और विधानपार्षद निधि का प्रारम्भ वर्ष 1984 में किया गया था. इस निधि के अंतर्गत प्रत्येक विधायक को प्रतिवर्ष विकास कार्यो के लिए एक लाख रुपये दिए जाते थे. वर्ष 1986 में इस राशि को बढ़ाकर प्रतिवर्ष पांच लाख रुपये कर दिया गया. वर्ष 1990 में यह राशि बढ़ाकर 10 लाख तथा वर्ष 1996 में पुनः इस राशि को बढ़ाकर 50 लाख रुपये कर दी गई. वर्ष 2003 में 50 लाख रुपये की राशि को बढ़ाकर एक करोड़ रुपये कर दिया.
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