बीजिंग के पेकिंग विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने मई 2013 में कुछ बाघों में पाए जाने वाले सफेद फर या गहरी काली-भूरी पट्टियों के रहस्य को सुलझा लिया है. जीन (एसएलसी45ए2) के एक रंजकता (पिगमेंटेशन) में एकल अमीनो अम्ल (ए477वी) में परिवर्तन के कारण ऐसा हो पाता है. वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुँचने के लिए तीन अलग-अलग जनकों वाले 16 सफेद बाघों का अध्ययन किया.वैज्ञानिकों ने बाघों के शरीर पर पट्टियों, आखों एवं फर के रंगों की पहचान करने के लिए फियोमेलानिन (Pheomelanin) एवं यूमेलानिन (Eumelanin) नामक दो मेलानिन का उपयोग किया. सफेद बाघ के मामले में फियोमेलानिन, जो कि लाल एवं पीला रंगी उत्पन्न करता है, प्रभावित हुआ। अनुसंधान के अनुसार, अमीनो अम्ल में परिवर्तन एक विशेष चैनल को आंशिक रूप से बाधित करता है. रंजकता से सम्बंधित जीन (एसएलसी45ए2) में इसी तरह के परिवर्तन के परिणामस्वरूप यूरोपीय लोगों, चूहों, मुर्गों एवं घोड़ों में भी त्वचा के रंग का अंतर संभव हो पाता है.
बीजिंग के पेकिंग विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने मई 2013 में कुछ बाघों में पाए जाने वाले सफेद फर या गहरी काली-भूरी पट्टियों के रहस्य को सुलझा लिया है. जीन (एसएलसी45ए2) के एक रंजकता (पिगमेंटेशन) में एकल अमीनो अम्ल (ए477वी) में परिवर्तन के कारण ऐसा हो पाता है. वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुँचने के लिए तीन अलग-अलग जनकों वाले 16 सफेद बाघों का अध्ययन किया.
वैज्ञानिकों ने बाघों के शरीर पर पट्टियों, आखों एवं फर के रंगों की पहचान करने के लिए फियोमेलानिन (Pheomelanin) एवं यूमेलानिन (Eumelanin) नामक दो मेलानिन का उपयोग किया. सफेद बाघ के मामले में फियोमेलानिन, जो कि लाल एवं पीला रंगी उत्पन्न करता है, प्रभावित हुआ.
अनुसंधान के अनुसार, अमीनो अम्ल में परिवर्तन एक विशेष चैनल को आंशिक रूप से बाधित करता है. रंजकता से सम्बंधित जीन (एसएलसी45ए2) में इसी तरह के परिवर्तन के परिणामस्वरूप यूरोपीय लोगों, चूहों, मुर्गों एवं घोड़ों में भी त्वचा के रंग का अंतर संभव हो पाता है.
बीजिंग के पेकिंग विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने मई 2013 में कुछ बाघों में पाए जाने वाले सफेद फर या गहरी काली-भूरी पट्टियों के रहस्य को सुलझा लिया है. जीन (एसएलसी45ए2) के एक रंजकता (पिगमेंटेशन) में एकल अमीनो अम्ल (ए477वी) में परिवर्तन के कारण ऐसा हो पाता है. वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुँचने के लिए तीन अलग-अलग जनकों वाले 16 सफेद बाघों का अध्ययन किया.वैज्ञानिकों ने बाघों के शरीर पर पट्टियों, आखों एवं फर के रंगों की पहचान करने के लिए फियोमेलानिन (Pheomelanin) एवं यूमेलानिन (Eumelanin) नामक दो मेलानिन का उपयोग किया. सफेद बाघ के मामले में फियोमेलानिन, जो कि लाल एवं पीला रंगी उत्पन्न करता है, प्रभावित हुआ। अनुसंधान के अनुसार, अमीनो अम्ल में परिवर्तन एक विशेष चैनल को आंशिक रूप से बाधित करता है. रंजकता से सम्बंधित जीन (एसएलसी45ए2) में इसी तरह के परिवर्तन के परिणामस्वरूप यूरोपीय लोगों, चूहों, मुर्गों एवं घोड़ों में भी त्वचा के रंग का अंतर संभव हो पाता है.
बीजिंग के पेकिंग विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने मई 2013 में कुछ बाघों में पाए जाने वाले सफेद फर या गहरी काली-भूरी पट्टियों के रहस्य को सुलझा लिया है. जीन (एसएलसी45ए2) के एक रंजकता (पिगमेंटेशन) में एकल अमीनो अम्ल (ए477वी) में परिवर्तन के कारण ऐसा हो पाता है. वैज्ञानिक इस नतीजे पर पहुँचने के लिए तीन अलग-अलग जनकों वाले 16 सफेद बाघों का अध्ययन किया.
वैज्ञानिकों ने बाघों के शरीर पर पट्टियों, आखों एवं फर के रंगों की पहचान करने के लिए फियोमेलानिन (Pheomelanin) एवं यूमेलानिन (Eumelanin) नामक दो मेलानिन का उपयोग किया. सफेद बाघ के मामले में फियोमेलानिन, जो कि लाल एवं पीला रंगी उत्पन्न करता है, प्रभावित हुआ.
अनुसंधान के अनुसार, अमीनो अम्ल में परिवर्तन एक विशेष चैनल को आंशिक रूप से बाधित करता है. रंजकता से सम्बंधित जीन (एसएलसी45ए2) में इसी तरह के परिवर्तन के परिणामस्वरूप यूरोपीय लोगों, चूहों, मुर्गों एवं घोड़ों में भी त्वचा के रंग का अंतर संभव हो पाता है.
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