बॉलीवुड अभिनेता सदाशिव अमरापुरकर का 64 वर्ष की आयु 3 नवंबर 2014 को मुंबई में निधन हो गया. वह फेफड़ों के संक्रमण से पीड़ित थे और उनका कोकिलाबेन धीरुभाई अंबानी अस्तपाल में इलाज चल रहा था. उनका अंतिम संस्कार अहमदनगर जिले में उनके पैतृक स्थल में किया जाएगा. महेश भट्ट की फिल्म ''सड़क'' में किन्नर महारानी की भूमिका के लिए सदाशिव को इस फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ खलनायक का पुरस्कार भी मिला था. सदाशिव ने फिल्म ''आंखे'', ''इश्क'' और ''कुली नंबर वन'' में हास्य भूमिका के जरिए दर्शकों की काफी लोकप्रियता हासिल की.
अमरापुरकर को दो बार फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था. वर्ष 1984 में उन्हें 'अर्धसत्य' में सर्वश्रेष्ठ सहायक कलाकार की भूमिका के लिए पुरस्कार से नवाजा गया, जबकि वर्ष 1991 में उन्हें 'सड़क' फिल्म के लिए सर्वश्रेष्ठ खलनायक का पुरस्कार मिला था. उन्होंने आंखें इश्क, कुली नंबर 1 और गुप्त : द हिडन ट्रुथ सहित कई फिल्मों में काम किया था. बाद में उन्होंने अपना ध्यान मराठी फिल्मों पर केंद्रित कर दिया था.
अमरापुरकर वर्ष 2012 में आई 'बांबे टॉकीज' फिल्म में अंतिम बार दिखे. वह पिछले कुछ सालों से सिर्फ चुनिंदा फिल्में ही कर रहे थे और सामाजिक कार्यों में ज्यादा रूचि ले रहे थे. सड़क में उन्होंने महारानी नाम के ट्रांसजेंडर का किरदार निभाया था. सदाशिव 'अर्द्धसत्य', 'तेरी मेहरबानियां', 'हुकूमत', 'आखिरी रास्ता', 'खतरों के खिलाड़ी', 'सड़क', 'आंखें', 'दुश्मन', 'हम साथ-साथ हैं', 'कुली नंबर वन' और 'हम साथ साथ हैं' जैसी कई फिल्मों में काम कर चुके थे. सदाशिव मराठी सिनेमा में भी अभिनय कर चुके थे. अमरापुरकर ने तकरीबन 250 से अधिक फिल्में की हैं जिनमें अर्ध सत्य, सडक़, हुकूमत, आंखें और इश्क़ जबरदस्त कामयाब रही.
सदाशिव अमरापुरकर के बारे में
सदाशिव अमरापुरकर 11 मई 1950 को अहमदनगर में पैदा हुए थे. अमरापुरकर शुरू से ही रंगमंच से जुड़े थे. 1980 के दशक में उन्होंने बॉलिवुड में अभिनय की शुरुआत की और कई मराठी फिल्मों में भी काम किया. मराठी ब्राह्मण परिवार में जन्मे सदाशिव अपने परिवार और करीबी दोस्तों के बीच तात्या के नाम से जाने जाते थे. उनका विवाह स्कूली जीवन की साथी रही सुनंदा करमाकर के साथ हुआ था. उन्होंने 1980 के दशक में फिल्मों में कदम रखा. बॉलीवुड में उनकी आखिरी फिल्म वर्ष 2012 में आई 'बॉम्बे टॉकीज' थी.

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