भारत एवं चीन के मध्य रेलवे क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने हेतु 18 सितंबर 2014 को समझौता ज्ञापन और कार्य योजना पर हस्ताक्षर हुए. भारत की ओर से रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष अरुणेंद्र कुमार और चीन की ओर से वहां के राष्ट्रीय रेलवे प्रशासन के उपमंत्री और प्रशासक लू डेंगफू ने हस्ताक्षर किए. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत की यात्रा पर आए चीन के राष्ट्रपति शी चिनपिंग की मौजूदगी में समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए. यह समझौता ज्ञापन दोनों पक्षों द्वारा हस्ताक्षर किए जाने की तारीख से प्रभावी माना जायेगा एवं 3 वर्षों के लिए प्रवृत्त रहेगा.
समझौता ज्ञापन से संबंधित मुख्य तथ्य
• भारी सामान की ढुलाई में हेतु प्रशिक्षण- भारी सामान की ढुलाई में प्रशिक्षण के लिए 100 व्यक्तियों के प्रशिक्षण हेतु एक कार्यक्रम (प्रति बैच 20 व्यक्ति के हिसाब से कुल 5 बैचों में) को अंतिम रूप दिया गया.
• मौजूदा रेल लाइनों पर गति में बढ़ोतरी का प्रस्ताव - इसके तहत चेन्नई, बंगलौर-मैसूर रेल लाईन की पहचान की गई है, जहां चीन के सहयोग से 160 किलोमीटर प्रतिघंटा तक गति बढ़ाई जाएगी.
• रेलवे स्टेशनों के पुनर्विकास हेतु चीनी तकनीकी सहयोग - चीन स्टेशनों का अपने व्यय से व्यवहारिता-पूर्व अध्ययन करेगा और भावी सहयोग कार्यक्रम के बारे में रिपोर्ट पेश करेगा.
• हाई स्पीड रेल में सहयोग हेतु समझौता - चीन भारतीय रेलवे के सुझाव के अनुसार एक सेक्शन पर अपने व्यय से हाई स्पीड रेल हेतु व्यवहारिता-पूर्व अध्ययन करेगा और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करेगा.
• रेलवे विश्वविद्यालय की स्थापना- भारत में रेलवे विश्वविद्यालय के विकास के लिए चीन के रेल अनुभवों का प्रयोग किया जाएगा.
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