16 मई 2016 को भारत और अमेरिका ने हाल में गठित समुद्री सुरक्षा वार्ता के तहत पहले दौर की चर्चा का आयोजन किया. यह चर्चा रक्षा एवं विदेश मामलों के मंत्रियों और उनके अमेरिकी समकक्षों के बीच हुई.
भारत का प्रतिनिधित्व योजना और अंतरराष्ट्रीय सहयोग (पीआईसी) के प्रभारी संयुक्त सचिव शंभू कुमारन और विदेश मामलों के संयुक्त सचिव, मुनु महावर ने किया.
जबकि डेविड शीर, एशिया एवं प्रशांत सुरक्षा मामलों के रक्षा सहायक सचिव, मनप्रीत आनंद, दक्षिण एवं मध्य एशिया मामलों के उप सहायक सचिव और वाइस एडमिरल ऑक्वाइन, कमांडर, यूएस सेवेंथ फ्लीट, अमेरिका की ओर से थे.
समुद्री सुरक्षा वार्ता की विशेषताएं
• दोनों ही पक्षों ने एशिया–प्रशांत समुद्री चुनौतियों, नौसेना सहयोग और बहुपक्षीय कार्यों समेत अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा की.
• वाणिज्यिक नौवहन परिवहन पर आंकड़े साझा करने के क्षेत्र में सुधार हेतु वे ह्वाइट शिपिंग टेक्निकल एग्रीमेंट पर भी सहमत हुए.
• पनडुब्बी सुरक्षा और पनडुब्बी रोधी युद्ध पर नौसेना में चर्चा भी की गई .
वार्ता कब की गई थी?
• यह वार्ता भारत के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और उनके अमेरिकी समकक्ष एश्टन कार्टर की अप्रैल 2016 में भारत दौरे के दौरान सहमत हुए कई पहलों में से एक थी.
• इसे एशिया–प्रशांत एवं हिन्द महासागर क्षेत्र के लिए भारत-अमेरिका संयुक्त सामरिक दृष्टिकोण के तहत समुद्री सुरक्षा उद्देश्यों के हिस्से के रूप में तैयार किया गया था.
टिप्पणी
भारत और अमेरिका के बीच नव गठित समुद्री सुरक्षा वार्ता दोनों देशों के बीच बढ़ते संबंधों का संकेत है.
यह वार्ता भारत और अमेरिका दोनों द्वारा चीन के बढ़ते प्रभुत्व के मद्देनजर हुई है. अमेरिका चाहता है कि उसके क्षेत्रीय सहयोगी दक्षिण चीन सागर में चीन के खिलाफ अधिक संगठित रूख अपनाएं. इस इलाके में चीन द्वारा सैन्य इस्तेमाल के लिए सुविधाओं के साथ कृत्रिम द्वीप बनाने के बाद से तनाव पैदा हो गया था.
हालांकि अमेरिका चाहता है कि भारत दक्षिण चीन सागर जहां बीजिंग का कई पड़ोसी देशों के साथ समुद्री विवाद चल रहा है, समेत इलाके में संयुक्त नौ सेना गश्ती करने से स्पष्ट रूप से इनकार कर दे.
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