भारतीय नौसेना और श्रीलंकाई नौसेना ने 27 अक्टूबर 2015 को श्रीलंका के त्रिंकोमाली तट पर चौथा श्रीलंका-भारत नौसैनिक अभ्यास (एसएलआईएनईएक्स) शुरू किया. यह अभ्यास 1 नवंबर 2015 को संपन्न होगा.
एसएलआईएनईएक्स 15 से समुद्र में दोनों सेनाओं द्वारा मिलकर कार्य करने की क्षमता बढ़ेगी, जो इस क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा की दिशा में योगदान होगा.
यह अभ्यास बंदरगाह चरण से शुरू होगा, इस दौरान प्रतिभागी व्यवसायिक, सांस्कृतिक और सामाजिक बातचीत करेंगे. बंदरगाह चरण के बाद 30 अक्टूसबर 2015 से समुद्री चरण शुरू होगा. समुद्र चरण में समुद्री डकैती को रोकने, गोलीबारी, क्रॉस डैक हेलीकॉप्टर अभियान सहित जटिल अभ्यास किए जाएंगे.
एसएलआईएनईएक्स 2015 में भारतीय नौसेना का प्रतिनिधित्व
भारतीय नौसेना के जहाज-कोरा, कृपाण और सावित्री, जहाज जनित हेलीकॉप्टर अभ्यास में भाग लेंगे. मिसाइल वाहक कोरा और कृपाण जहाज की कमान क्रमश: कमांडर अशोक राव और कमांडर अब्राहम सेम्युल तथा तटवर्ती गश्ती जहाज सावित्री की कमान कमांडर प्रशांत नेगी संभाल रहे हैं.
इसके अलावा भारतीय नौ सेना का समुद्री टोही विमान भी अभ्यास में भाग लेगा.
एसएलआईएनईएक्स 2015 में श्रीलंका की नौसेना का प्रतिनिधित्व
श्रीलंका की नौसेना की और से इस अभ्यास में सयूरा, समुद्र, सागर, 6 त्वरित आक्रमण विमान, 2 त्वरित गन बोट और एक त्वरित मिसाइल जहाज भाग लेगा.
श्रीलंका-भारत नौ सैनिक अभ्यास (एसएलआईएनईएक्स)
द्वीपक्षीय समुद्री अभ्यास की एसएलआईएनईएक्स श्रृंखला 2005 में शुरू की गई थी और अब तक तीन सफल अभ्यास किए जा चुके हैं.
एसएलआईएनईएक्स का उद्देश्य आपसी समझ बढ़ाना और दोनों देशों की नौ सेनाओं को एक दूसरे के अभियानों, प्रक्रियाओं, संपर्क प्रक्रियाओं और बेहतरीन तरीकों की जानकारी उपलब्ध कराना है. इससे दोनों नौ सेनाओं के बीच आवश्यकता पड़ने पर जटिल समुद्री अभियानों के दौरान मिलकर अभियान चलाने का विश्वास पैदा होगा. समय- समय पर होने वाले इस अभ्यास से पिछले अनुभव के आधार पर व्यवसायिक और अभियान में दोनों नौ सेनाओं के बीच और संबध बढ़ाने में मदद मिलेगी.
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