भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने 12 दिसंबर 2013 को एक द्विपक्षीय निवेश संवर्धन और संरक्षण करार (बीआईपीपीए) पर हस्ताक्षर किए. इस समझौते से भारत में संयुक्त अरब अमीरात से पूंजी निवेश में तेजी आएगी. यह समझौता तब तक प्रभावी रहना है जब तक कि भारत में यूएई से निवेश हेतु कोई अन्य प्रारूप तय न हो. संयुक्त अरब अमीरात भारत में बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं का पता लगाने हेतु बीआईपीपीए पर हस्ताक्षर हेतु प्रयासरत था.
बीआईपीपीए समझौते पर भारत की ओर से आर्थिक एवं वित्तीयय सेवा राज्यतमंत्री नमो नारायण मीणा और संयुक्तं अरब अमीरात की ओर से यूएई के वित्तीयय मामलों के राज्यीमंत्री ओबैद हुमैद अल तायर ने हस्तातक्षर किये. यह समझौता संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री शेख जायद अल नाहन की भारत की आधारिकारिक यात्रा के दौरान किये गये.
भारत औऱ संयुक्त अरब अमीरात 75 अरब डॉलर के कुल द्विपक्षीय व्यापार के साथ एक दूसरे के सबसे बड़े व्यापारिक भागीदार हैं. वर्तमान में, संयुक्त अरब अमीरात भारत में तीन अरब डॉलर निवेश करता है. आबू धाबी निवेश प्राधिकरण के तहत संयुक्त अरब अमीरात दुनिया के दूसरे सबसे बड़े ‘सॉवरिन वेल्थ फंड’ को नियंत्रित करता है.
वर्तमान में, आबू धाबी राष्ट्रीय ऊर्जा कंपनी (TAQA), बिजली क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश में 700 करोड़ डॉलर का निवेश करना चाहती है जबकि डीपी वर्ल्ड आपरेशन का लक्ष्य भारत में बंदरगाह क्षेत्र में अपने कदमों का विस्तार करना है. फरवरी 2013 में, भारत और संयुक्त अरब अमीरात ने निवेश के लिए उच्च स्तरीय टास्क फोर्स का गठन निवेश के अवसरों में तेजी लाने के लिए किया था, लेकिन संयुक्त अरब अमीरात, आगे बढ़ने से पहले बीआईपीपीए को पूरा करना चाहता था. निवेश के अवसर तलाशने के लिए समझौते पर हुए हस्ताक्षर ने जनवरी 2014 में उच्च स्तरीय टास्क फोर्स की बैठकों के लिए संभावनाएं खोल दी हैं.
भारत- संयुक्त अरब अमीरात बीआईपीपीए पर हस्ताक्षर के साथ, भारत अब सभी जीसीसी देशों के साथ इस तरह का करार कर चुका है, जिससे भारत और जीसीसी मुक्त व्यापार समझौते को संचालित करने की संभावनाओं को बल मिलेगा जो अब तक ठंडे बस्ते में थी.
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