अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी फिच (rating agency Fitch) ने भारत में बिलजी की दशा और इस क्षेत्र में सुधार पर एक रिपोर्ट 14 नवंबर 2011 को जारी किया. रेटिंग एजेंसी फिच की रिपोर्ट के अनुसार भारत के विभिन्न राज्यों में सात प्रतिशत से लेकर 19 प्रतिशत तक बिजली की दर बढ़ाने की आवश्यकता है.
रेटिंग एजेंसी फिच (rating agency Fitch) ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि कम बिजली दर से उत्पन्न खराब माली हालत के चलते राज्य सरकारें नए बिजली प्लांट नहीं लगा पा रहीं और मांग पूरी करने के लिए बिजली की अल्पकालिक खरीदारी पर निर्भर हैं. ऐसे राज्यों में राजस्थान, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश सबसे आगे हैं.
रिपोर्ट के अनुसार भारत का कृषि क्षेत्र कुल विद्युत उत्पादन में से लगभग एक चौथाई बिजली की खपत करता है, लेकिन इससे वसूली जाने वाली बिजली की दरें औद्योगिक क्षेत्र के मुकाबले महज 15 प्रतिशत हैं. कृषि व घरेलू क्षेत्र को मिलाकर बिजली की खपत देश की कुल बिजली खपत की आधी से कुछ कम है. इस कारण बिजली वितरण कंपनियों को घाटा उठाना पड़ता है.
रेटिंग एजेंसी फिच (rating agency Fitch) ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि वित्त वर्ष 2010-11 में बिजली वितरण कंपनियों द्वारा 350 अरब रुपये की सब्सिडी मांगी गई थी, इसके मुकाबले केवल आधी राशि का भुगतान राज्य सरकारों द्वारा बिजली वितरण कंपनियों को किया गया.
रिपोर्ट के अनुसार भारत के अच्छी माली हालत वाले राज्यों में भी घाटे के अंतर पाटने के लिए प्रति वर्ष सात प्रतिशत के हिसाब से बिजली की दरों में बढ़ोतरी की जरूरत है. जबकि खराब हालत वाले राज्यों में प्रति वर्ष 19 फीसदी की दर से बिजली दरें बढ़ाई जाने की आवश्यकता है.
ज्ञातव्य हो कि राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्य सरकारों ने वर्ष 2006 से ही बिजली की दरें नहीं बढ़ाई हैं.
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