भारत तथा अमेरिका के रक्षा मंत्रियों ने 3 जून 2015 को डिफेंस फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर किये.
इससे पहले वर्ष 2005 में दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग समझौता हुआ था जिसके आधार पर अब तक सहयोग कार्य चल रहा था, यह समझौता अगले 10 वर्ष के लिए किया गया है.
इसके तहत दोनों देशों के बीच रक्षा साजो-सामान के विकास तथा उत्पादन पर साझा कार्य किया जायेगा. साथ ही सेनाओं के बीच साझा युद्धाभ्यास, समुद्री सुरक्षा, खुफिया जानकारियों का आदान-प्रदान करना भी समझौते में शामिल है.
इस रक्षा सहयोग समझौते पर राष्ट्रपति ओबामा द्वारा जनवरी में भारत दौरे के दौरान सहमति प्रकट की गयी थी. समझौते के तहत भारत एवं अमेरिका ने मोबाइल इलेक्ट्रिक हाइब्रिड उर्जा स्रोतों तथा अगली पीढ़ी के सुरक्षात्मक उपकरणों को विकसित करने पर भी सहमति व्यक्त की.
इसमें भारत की ओर से रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर तथा अमेरिकी रक्षा मंत्री एशटन कार्टर एवं दोनों देशों के प्रतिनिधि शामिल थे. इस दौरान अमेरिका ने भारत-अमेरिका के बीच होने वाले मालाबार नौसैनिक अभ्यास में जापान को भी शामिल करने का आग्रह किया.
रक्षा मंत्री के तौर पर एशटन कार्टर का यह पहला भारत दौरा था. भारत एवं अमेरिका के बीच रक्षा तकनीक और व्यापार पहल (डीटीटीआई) कार्यक्रम शुरू किये जाने में कार्टर का महत्वपूर्ण योगदान है जिसके तहत दोनों देशों द्वारा रक्षा साजो-सामान के साझा उत्पादन और तकनीक हस्तांतरण को बढ़ावा दिया गया.
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