भारत ने ईरान को कच्चे तेल की आपूर्ति का भुगतान यूरो में करने का फैसला लिया. भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA: National Security Advisor) शिव शंकर मेनन की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में यह फैसला 3 फरवरी 2011 को लिया गया. फैसले के अनुसार भारतीय तेल कंपनियां निम्नलिखित माध्यम से भुगतान करेंगी:
भारतीय तेल कंपनियां - भारतीय स्टेट बैंक - भारतीय स्टेट बैंक की फ्रैंकफर्ट शाखा - ईआइएच बैंक (Europäisch-Iranische Handelsbank: Institutions in Financing Trade between Iran and Europe) - नेशनल ईरानियन ऑयल कंपनी के ईआइएच बैंक खाता में. इस पूरे भुगतान प्रक्रिया को जर्मनी के केंद्रीय बैंक से मंजूरी प्रदान की जा चुकी है.
ज्ञातव्य हो कि 23 दिसंबर 2010 को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI: Reserve Bank of India) ने पहले से चल रही भुगतान व्यवस्था पर रोक लगा दी थी. रिजर्व बैंक के इस निर्णय के बाद भारतीय कंपनियों के लिए ईरानी तेल के लिए भुगतान करना मुश्किल हो गया था. ज्ञातव्य हो कि पहले ईरान के साथ व्यापार का भुगतान एशियन क्लियरिंग यूनियन (ACU: Asian Clearing Union) के जरिए किया जाता था. तेहरान स्थित एसीयू में ईरान, भारत और खाड़ी क्षेत्र के कई देश शामिल थे.
भारत अपनी कुल खपत का 12-15 फीसदी तक कच्चा तेल ईरान से लेता है. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा लगाई गई रोक के बाद से ईरान, भारत को उधार में कच्चे तेल की आपूर्ति कर रहा है. यह कर्ज लगभग साढ़े तीन अरब डॉलर हो चुका है. भारतीय तेल कंपनियों को ईरान को इतनी बकाया राशि का भुगतान करना है.
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