भारतीय सेना ने राजस्थान में सीमांत जैसलमेंर जिले की पोकरन की चांघण फील्ड फायरिंग रेज में सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस के ब्लॉक-3 संस्करण का सफलतापूर्वक परीक्षण 18 नवम्बर 2013 को किया. गहराई तक मार करने की क्षमता से लैस ब्रह्मोस के ब्लॉक-3 संस्करण में एक नई गाइडेंस प्रणाली लगी है.
यह परीक्षण ब्रह्मोस के ब्लॉक-3 संस्करण की कठोर लक्ष्यों के खिलाफ गहराई तक मार करने की क्षमता को जांचने के उद्देश्य से किया गया. ब्रह्मोस का जमीनी हमले से संबंधित ब्लॉक-3 संस्करण पहले ही पर्वतीय अभियानों में अपनी सटीक क्षमता प्रदर्शित कर चुका है. ब्रह्मोस के उन्नत संस्करण की यह 27वां परीक्षण था.
सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस
ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल 290 किलोमीटर तक मार करने में सक्षम है. यह अमेरिकी जीपीएस के अलावा रूस की ग्लोनास उपग्रह प्रणाली से भी आंकड़े प्राप्त करने में सक्षम है. यह इसके प्रभाव को दोगुना करता है. ब्रह्मोस मिसाइल 2.8 माच की गति से उड़ान भरती है और अपने साथ 300 किलोग्राम तक का आयुध ले जा सकती है. मिसाइल को जल, थल और नभ सहित विविध मंचों से दागा जा सकता है. सेना और नौसेना मिसाइल को अपनी सेवा में पहले ही शामिल कर चुकी हैं. ब्रह्मोस मिसाइल प्रणाली को वर्ष 2005 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था. ब्रह्मोस का पहला परीक्षण 12 जून 2001 एवं दूसरा 27 अप्रैल 2002 को उडीसा के चांदीपुर रेंज मे किया गया था.
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