भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) करने वाला सबसे बड़ा स्रोत सिंगापुर बन गया है. इसने मॉरिशस की जगह ले ली है. इसका पता केंद्रीय वाणिज्य उद्योग एवं कपड़ा मंत्रालय़ के औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) द्वारा एफडीआई के मार्च 2014 के जारी किए गए आंकड़ों से चलता है.
आंकड़ों के मुताबिक भारत ने साल 2013–14 सिंगापुर से 5.98 बिलियन अमेरिकी डॉलर की एफडीआई आकर्षित किया जबकि इसी अवधि में मॉरिशस सिर्फ 4.85 बिलियन अमेरिकी डॉलर का ही निवेश भारत में कर सका. साल 2013–14 में हुए कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में सिंगापुर की हिस्सेदारी 25 फीसदी रही है.
कुल 24.3 बिलियन अमेरिकी डॉलर के साथ साल 2013–14 में भारत में कुल एफडीआई में आठ फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई. भारत को बंदरगाहों, हवाई-अड्डों और हाइवे एवं विकास में गति लाने के लिए मार्च 2017 तक 1 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर के विदेशी की जरूरत है.
भारत में एफडीआई का सबसे बड़ा स्रोत सिंगापुर ही क्यों?
सिंगापुर के साथ सीमा के लाभ (एलओबी–लिमिट ऑफ बेनिफिट) के साथ वाले दोहरे कराधान बचाव समझौता (डीटीएए) जिससे विदेशी निवेशकों को सहूलियतें मिली और एफडीआई में बढ़ोतरी हुई.
दूसरी तरफ, मॉरिशस से एफडीआई में कमी कारण रहा जेनरल एंटी अवायडेंय रूल्स (जीएएआर) और संभावित री–निगोशिएशन ऑफ द टैक्स अवायडेंस ट्रिटी.
भारत–मॉरिशस डीटीएए समझौते को संशोधित किया जा रहा है. ऐसा करने की वजह मॉरिशस को भारत में फंड्स के राउंड– ट्रिपिंग के लिए इस्तेमाल किए जाने से रोकना हालांकि म़ॉरिशस ने हमेशा से इस प्राकर के दुरुपयोग का कोई ठोस सबूत न होने की बात कही है.
भारत में निवेश करने वाले शीर्ष दस देश
1. सिंगापुर
2. मॉरिशस
3. यूनाइटेड किंग्डम
4. नीदरलैंड्स
5. जापान
6. जर्मनी
7. यू.एस.ए.
8. साइप्रस
9. स्विट्जरलैंड
10. फ्रांस
जीएएआर क्या है?
जीएएआर – जेनरल एंटी अवायजेंस रूल्स. विवादास्पद जीएएआर भारत में अप्रैल 2016 से प्रभाव में आ जाएगा. जीएएआर निवेशकों के फंड की गतिविधियों पर नजर रखेगा.
जीएएआर प्रावधान कम–से–कम 3 करोड़ रुपयों की टैक्स छूट का लाभ उठाने वाले संस्थाओं के लिए ही लागू होगा. यह विदेशी संस्थागत निवेशकों पर लागू होगा जो किसी भी डीटीएए के तहत लाभ का दावा करते हैं.

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