भारत ने पिछले तीन वर्षों (2011 से) से पोलियो के एक भी मामले दर्ज किए बिना तीन वर्ष 13 जनवरी 2014 को पूरे किए. भारतीय इतिहास में यह दूसरी बार है जब किसी बीमारी का, टीकाकरण के माध्यम से पूरी तरह से सफाया कर दिया गया हो. इससे पहले मई 1980 में चेचक का सफाया टीकाकरण के जरिए करने में सफलता मिली थी.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा 11 फरवरी 2014 को भारत को पोलियो मुक्त होने का प्रमाणपत्र दिया जाना है. डब्ल्यूएचओ भारत को पोलियो संचरण करने वाले देशों की सूची से 24 फरवरी 2014 को हटा देगा.
भारत को अगर एक बार पोलियो मुक्त घोषित कर दिया गया तो पूरा डब्ल्यूएचओ क्षेत्र भी पोलियो मुक्त हो जाएगा. भारत का पोलियो मुक्त घोषित किया जाना इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि दक्षिण पूर्वी एशियाई क्षेत्र में सिर्फ यही एक ऐसा देश है जहां पोलियो के मामले पाए जा रहे हैं. भारत में पोलियो के मामलों की संख्या 2009 के 741 से घटकर 2010 में 42 और 2011 में सिर्फ 1 रह गया था जो पश्चिम बंगाल में पाया गया था.
पोलियो पर यह जीत भारत ने वैश्विक पोलियो उन्मूलन पहल (जीपीईआई) के तहत पल्स पोलियो टीकाकरण के जरिए हासिल की.
पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान
पल्स पोलियो टीकाकरण अभियान की शुरुआत 1988 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के साथ मिलकर रोटरी इंटरनेशनल ने की थी. इस अभियान के तहत, टीकाकरण के प्रत्येक चरण में 24 लाख टीका देने वाले लोगों के जरिए 17 करोड़ से भी ज्यादा बच्चों को टीका लगाया जाता था.
पोलियो के बारे में
पोलियो या पोलियोमाइलाइटिस को इंफैनटाइल पैरालिसिस कहा जाता है. पोलियोमाइलाइटिस की खोज जैकब हाइन ने 1840 की थी.
पोलियो एक वीषाणु (वायरस) जनित संक्रामक रोग है. यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में प्राथमिक तौर पर शौच– मुंह के रास्ते से फैलता है.
कारण
पोलियोमाइलाइटिस इंट्रोवायरस जिसे पोलियो वायरस (पीवी) के जीन से संक्रमित व्यक्ति से होता है. आरएन वायरस का यह समूह जठरांत्र पथ खासतौर पर ओरोफायरिंक्स और आंत में फैल जाता है. इसका इंक्यूबेशन का समय ( पहला संकेत और लक्षण) छह से 20 दिनों के सामान्य अवधि के साथ तीन से 35 दिनों का होता है.
पोलियो वायरस के तीन प्रकारों की पहचान की गई है– पोलियोवायरस टाइप 1 (पीवी 1), टाइप 2 (पीवी 2) और टाइप 3 ( पीवी3)– प्रत्येक में अलग तरह का कैप्सिड प्रोटीन होता है. पीवी 1 सबसे सामान्य रूप है और पैरालिसिस का कारण बनता है.
टीका
अल्बर्ट साबिन ने ओरल पोलियो वैक्सीन (ओपीवी) का विकास किया. यह गैर मानव कोशिकाओं के माध्यम से वायरस को उप– शारीरिक तापमान पर बार– बार गुजारकर तैयार किया जाता है. वर्ष 1962 में इसे अमेरिकी राष्ट्रीय स्वास्थ्य संस्थान ने लाइसेंस दिया था.
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