भारत विमानन सुरक्षा प्रौद्योगिकी सहायता हेतु भारतीय नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) और अमरीकी प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (यूएसटीडीए) के बीच एक समझौते पर 9 फरवरी 2016 को हस्ताक्षर किये गए.
संबंधित मुख्य तथ्य:
• यह समझौता डीजीसीए और यूएसटीडीए के बीच विमानन सुरक्षा प्रौद्योगिकी सहायता के द्वितीय चरण के लिए अनुदान हेतु किया गया.
• इस समझौते के तहत यूएसटीडीए 808,327 अमेरिकी डॉलर की आंशिक सहायता राशि प्रदान करेगा और ठेकेदार ‘द विक्सय ग्रूप’ (टीडब्यूर जी)75,000 डॉलर की लागत सहायता देगा.
• भारत सरकार इसमें 446,866 डॉलर का योगदान करेगी.
• वर्तमान परियोजना के द्वितीय चरण का उद्देश्यब आर्इएएसए श्रेणी-1 की स्थिति बरकरार रखने के लिए वर्ष 2014 के दौरान किए गए प्रयासों को बनाए रखना और परिचालन, उड़न योग्यएता तथा लाइसेंसिंग में सुधार लाना है.
पृष्ठभूमि:
विदित हो कि अंतर्राष्ट्रीय य नागर विमानन संगठन (आईसीएओ) ने अपने वर्ष 2012 के लेखा परीक्षण में भारतीय विमानन की सुरक्षा के बारे में कुछ चिंता व्य)क्तप की थी. जिसके बाद अमेरिका के संघीय विमानन प्रशासन (एफएए) ने सितंबर 2013 में अंतर्राष्ट्री य विमानन सुरक्षा मूल्यांकन (आर्इएएसए) परीक्षण किया और दिसंबर 2013 में समीक्षा की तथा जनवरी 2014 में भारत को श्रेणी-2 में रखा गया. मार्च-2014 में अमरीकी प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (यूएसटीडीए) ने एफएए के साथ समन्व-य कर डीजीसीए के समक्ष यूएसटीडीए अनुदान समझौता परियोजना के अंतर्गत सहायता प्रदान करने का प्रस्ता व किया, ताकि एफएए आईएएसए की चिंताओं को दूर किया जा सके और श्रेणी -1 की स्थिति हासिल करने में भारत की मदद की जा सके. इसके तहत हुए अनुदान समझौते के तहत अमरीका के ठेकेदार ‘द विक्सद ग्रूप’(टीडब्यूए जी) ने डीजीसीए की सहायता की और दिसंबर 2014 में एफएए द्वारा दोबारा मूल्यांपकन के लिए इसे तैयार किया. मार्च 2015 की यात्राओं के बाद अप्रैल 2015 में भारत की श्रेणी-1 की स्थिति बहाल की गई.
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