भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने 15 मई 2014 को घोषणा की कि प्लास्टिक मुद्रा नोट का क्षेत्र परीक्षण के बाद 2015 में शुरु किया जाएगा. राजन ने यह घोषणा आरबीआई के केंद्रीय बोर्ड निदेशकों की शिमला में बैठक के बाद किया.
इससे पहले फरवरी 2013 में केंद्र सरकार ने संसद में कहा था कि 2014 के आखिर तक वह पांच शहरों में एक अरब प्लास्टिक करेंसी नोट प्रायोगिक तौर पर बाजार में उतारेगा. ये पांच शहर होंगें– शिमला, कोच्ची, मैसूर, जयपुर और भुवनेश्वर.
ऐसा करने से भारतीय रूपयों की जालसाजी को रोकने में मदद मिलेगी. इसके अलावा, प्लास्टिक के बने नोटों की औसत उम्र पांच वर्ष होगी और यह कागज से बने नोटों के मुकाबले अधिक साफ दिखेगा.
प्लास्टिक करेंसी नोट के बारे में
आधुनिक प्लास्टिक करेंसी नोट सबसे पहले ऑस्ट्रेलियाई रिजर्व बैंक (आरबीआई), सीएसआईआरओ और यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न ने मुद्रा की जालसाजी को रोकने के लिए विकसित किया था. ऑस्ट्रेलिया में इसकी शुरुआत 1988 में हुई थी.
इसके बाद पूरी तरह से प्लास्टिक के नोट का इस्तेमाल करने वाले देश बने– ब्रूनेई, न्यूजीलैंड, पापुआ न्यू गिनी, रोमानिया, वियतनाम, फिजी, मॉरिशस (डीलारू द्वारा मुद्रित), कनाडा और इस्रायल.

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