भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 1 नवंबर 2010 को छमाही मौद्रिक नीति समीक्षा के तहत मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट चौथाई प्रतिशत बढ़ा दी. नई नीति के तहत बैंकों को दिये जाने वाले अल्पावधि कर्जों पर मुख्य ब्याज दर यानि रेपो रेट बढ़कर सवा छह प्रतिशत कर दी जबकि बैंको से लिए जाने वाले कर्ज पर ब्याज दर यानि रिवर्स रेपो रेट सवा पांच प्रतिशत हो गयी. हालांकि नकद आरक्षी अनुपात या बैंक दर में कोई परिवर्तन नहीं किया गया यानि यह छह प्रतिशत ही रहा.
वित्तीय वर्ष 2010-11 के लिए सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि का अनुमान साढ़े आठ प्रतिशत (पिछली बार के बराबर) रखा गया. जबकि वर्ष के अंत तक मुद्रास्फीति को साढ़े पांच प्रतिशत तक सीमित रखने का नया लक्ष्य (पिछला लक्ष्य छह प्रतिशत) तय किया.
ज्ञातव्य हो कि रिजर्व बैंक ने वर्ष 2010 में फरवरी से अब तक छठी बार अपनी मुख्य दरें बढ़ाई हैं. कुल मिलाकर रेपो रेट में सवा एक प्रतिशत और रिवर्स रेपो रेट में पौंने दो प्रतिशत तक की वृद्धि हो चुकी. जबकि नकद आरक्षी अनुपात को दो किस्तों में कुल एक प्रतिशत बढ़ाया गया.
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा उठाये गए ये नीतिगत कदम वर्ष 2008-09 में व्याप्त वैश्विक आर्थिक संकट के दौरान लिए गए फैसलों को पुनः सामान्य स्तर पर लाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है.
तिथि रेपो रेट रिवर्स रेपो रेट
1 नवंबर 2010 6.0 प्रतिशत से 6.25 प्रतिशत 5.0 प्रतिशत से 5.25 प्रतिशत
16 सितंबर 2010 5.75 प्रतिशत से 6.0 प्रतिशत 4.5 प्रतिशत से 5.0 प्रतिशत
27 जुलाई 2010 5.5 प्रतिशत से 5.75 प्रतिशत 4.0 प्रतिशत से 4.5 प्रतिशत
2 जुलाई 2010 5.25 प्रतिशत से 5.5 प्रतिशत 3.75 प्रतिशत से 4.0 प्रतिशत
20 अप्रैल 2010 5.0 प्रतिशत से 5.25 प्रतिशत 3.5 प्रतिशत से 3.75 प्रतिशत
19 मार्च 2010 4.75 प्रतिशत से 5.0 प्रतिशत 3.25 प्रतिशत से 3.5 प्रतिशत
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