Prime Minister Manmohan Singh on 26 April 2011 held a meeting and decided that Jaitapur nuclear power project will be completed in a phased manner. केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र के जैतापुर में परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Jaitapur nuclear power project) निर्माण के फैसले को पूरी तरह सही बताया. प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह, केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण और परमाणु ऊर्जा विभाग के उच्च स्तरीय बैठक में 26 अप्रैल 2011 को यह निर्णय लिया गया.
प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह द्वारा बुलाई गई बैठक में एक स्वतंत्र व स्वायत्तशासी भारतीय नाभिकीय विनियामक प्राधिकरण (NRAI: एनआरएआइ: Nuclear Regulatory Authority of India) बनाने का फैसला भी किया गया. भारतीय नाभिकीय विनियामक प्राधिकरण अपने गठन के उपरांत परमाणु ऊर्जा नियामक बोर्ड (AERB: Atomic Energy Regulatory Board) का स्थान लेगा.
केंद्रीय परमाणु ऊर्जा विभाग के अनुसार जैतापुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Jaitapur nuclear power project) स्थल भूकम्प के आशंकित क्षेत्र में नहीं आता और अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के नियमों पर आधारित सभी सुरक्षा दिशा निर्देशों का पालन करने के उपरांत ही जैतापुर को 9900 मेगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पादन के लिए चुना गया. ज्ञातव्य हो कि जापान में भूकम्प और सुनामी के कारण फुकुशिमा डाईची परमाणु संयंत्र (Fukushima Daiichi nuclear plant) में संकट पैदा होने के बाद महाराष्ट्र में जैतापुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र (Jaitapur nuclear power project) के निर्माण को लेकर विरोध हो रहा है.
जैतापुर परमाणु संयंत्र (Jaitapur nuclear power Plant) में फ्रांस की कंपनी अरेवा द्वारा आपूर्ति किए गए परिष्कृत यूरेनियम का इस्तेमाल किया जाना है. जैतापुर परमाणु संयंत्र (Jaitapur nuclear power Plant) की छह इकाइयों में से प्रत्येक की क्षमता 1650 मेगावाट बिजली उत्पादन की है और इस संयंत्र की कुल आयु 60 वर्ष की है.
केंद्रीय पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश के अनुसार केंद्र सरकार देश की कुल ऊर्जा क्षमता में नाभिकीय ऊर्जा की मौजूदा हिस्सेदारी तीन फीसदी को वर्ष 2020 तक छह फीसदी और वर्ष 2030 तक 13 फीसदी करने के लिए कृतसंकल्प है.
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