शोधकर्ता एन आरबर के नेतृत्व में मिशिगन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक ऐसी मशीन बनाई है जो गति ऊर्जा यानी गति के जरिए पैदा हुई ऊर्जा से चलती है. यह नन्हा उपकरण पेसमेकर को हमेशा सुचारु रूप से चलाए रख सकता है. यह जानकारी 4 नवंबर 2012 को जारी की गई.
पेसमेकर को चलाने के लिए बहुत कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है. इस प्रयोग में अनुसंधानकर्ताओं ने पहले दिल के धड़कने से होने वाले कंपन का माप लिया. उसके बाद प्रयोगशाला में एक मशीन के जरिए सीने में उतना ही उद्दीपन्न देकर उससे हुए कंपन का माप लिया. फिर दिल की धड़कनों के 100 कंपनों को विभिन्न हृदय गतियों के साथ जांचा. इससे ही अनुमान लगाया गया कि दिल की धड़कनों से आधुनिक पेसमेकर के लिए आवश्यक ऊर्जा से 10 गुना अधिक ऊर्जा उत्पन्न होती है.
एक पेसमेकर को अनवरत ऊर्जा देने के लिए नॉनलाइनर विधि से प्रति मिनट 20 से 600 धड़कनों की आवश्यकता पड़ती है.
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