दिल्ली राज्य सरकार ने हिन्दी की लेखिका मैत्रेयी पुष्पा को हिन्दी अकादमी का उपाध्यक्ष 20 मई 2015 को नियुक्त किया. इसके साथ ही अन्य दो अकादमियों मैथिली-भोजपुरी अकादमी का उपाध्यक्ष पत्रकार कुमार संजॉय सिंह को व संस्कृत अकादमी का उपाध्यक्ष प्रोफेसर गणेश दत्त शर्मा को बनाया गया. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तीनों अकादमियों के अध्यक्ष हैं. उपाध्यक्ष सहित संचालन-समिति का कार्यकाल एक वर्ष होगा.
तीनों अकादमियों की संचालन-समिति में शामिल अन्य सदस्य
हिन्दी अकादमी के सदस्य
प्रधान सचिव वित्त व दिल्ली सरकार के कला, संस्कृति और भाषा विभाग के (आर्ट, कल्चर एंड लैंग्वेज) के सचिव सरकार की ओर से हिन्दी अकादमी के सदस्य होंगे. इसके अलावा पत्रकार वर्तिका नन्दा, डा. हरीश नवल, वेद प्रकाश, अनिल शर्मा, सुधाकर पाठक, डा, मीना शर्मा, सुरेन्द्र शर्मा इसके सदस्य हैं.
मैथिली-भोजपुरी अकादमी
डा. टीएन ओझा, जय प्रकाश मिश्रा, उमेश कुमार सिंह, रतन लाल, डा. राजेश कुमार झा, प्रवीण कुमार पांडे, कुमार नरेन्द्र सिंह को इसका सदस्य बनाया गया.
संस्कृत अकादमी के सदस्य
डा सुनीता सैनी, डा, राम करण भारद्वाज, डा, जयेन्द्र कुमार, डा, शशि तिवारी, प्रोफेसर रमेश कुमार पांडे, डा. आशा को इसका सदस्य नियुक्त किया गया.
मैत्रेयी पुष्पा से संबंधित मुख्य तथ्य
• मैत्रेयी पुष्पा हिंदी की प्रमुख उपन्यासकार और साहित्यकार हैं.
• इनका जन्म उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ ज़िले के सिर्कुरा गांव में वर्ष 1944 में हुआ.
• मैत्रेयी पुष्पा के लेखन का मुख्य बिंदु ग्रामीण भारत और नारी है.
• मैत्रेयी पुष्पा को रांगेय राघव और फणीश्वर नाथ 'रेणु' की श्रेणी की रचनाकार माना जाता है.
इनकी मुख्य साहित्यिक रचनाएं
• उपन्यास: बेतवा बहती रही, इदन्नमम, चाक, झूला नट, अल्मा कबूतरी, अगनपाखी, विज़न, त्रियाहठ, कही ईसुरी फाग. स्मृति दंश, कस्तूरी कुंडली बसैं
• कहानी संग्रह: बोझ, चिन्हार, गोमा हंसती है, ललमनियां, पियरी का सपना, प्रतिनिधि कहानियां, पगला गई है भागवती, त्रिया हठ (कहानी संग्रह), अब फूल नहीं खिलते, तुम किसकी हो बिन्नी?
• आत्मकथा: कस्तूरी कुंडल बसे, गुड़िया भीतर गुड़िया.
• कथा रिपोर्ताज: फायटर की डायरी, चर्चा हमारा, खुली खिडकियॉं, सुनो मालिक सुनो.
• कविता संग्रह: लकीरें शीर्षक से उनकी एक कविता संग्रह भी प्रकाशित हो चुकी है.
• यात्रा-संस्मरण: अगनपाखी
• आलेख: खुली खिड़कियाँ
हिन्दी अकादमी, दिल्ली
हिन्दी अकादमी, दिल्ली की स्थापना वर्ष 1981 में तत्कालीन दिल्ली प्रशासन ने एक स्वायत्तशासी संस्था के रूप में की. इसका उद्देश्य दिल्ली में हिन्दी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति का संवर्द्धन, प्रचार-प्रसार और विकास करना है. दिल्ली सरकार के कला, संस्कृति एवं भाषा विभाग के निर्देशन में हिन्दी अकादमी अपनी स्थापना के समय से ही भाषायी, साहित्यिक तथा सांस्कृतिक गतिविधियों के प्रसार में रचनात्मक भूमिका निभा रही है.
अकादमी के कार्यक्रमों तथा गतिविधियों के क्रियान्वयन और नियोजन में निर्णय एवं परामर्श के लिए दिल्ली के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में दो वर्ष की अवधि के लिए संचालन-समिति गठित करती है. अकादमी की संचालन-समिति के सदस्य के रूप में 25 जाने-माने साहित्यकार, लेखक विशेषज्ञ, पत्रकार आदि नामित किए जाते हैं. यह समिति सभी योजनाओं और प्रस्तावों तथा बजट का अनुमोदन करती है.


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