ऑपरेशन राहत: यमन से 4000 से अधिक भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए शुरू किया गया हवाई और समुद्री अभियान.
ऑपरेशन राहत यमन से भारतीय नागरिकों को सुरक्षित बाहर निकाल कर भारत लाने का एक हवाई और समुद्री अभियान है. इस अभियान में पाँच समुद्री जहाजों और चार हवाई जहाजों को शामिल किया गया है.
यह ऑपरेशन भारत के अपतटीय गश्ती पोत आईएनएस सुमित्रा को यमन के अदन बंदरगाह पर गश्त करने की अनुमति मिलने के बाद शुरू हुआ. अभियान के तहत अब तक 350 भारतीय नागरिकों आईएनएस सुमित्रा से जिबूती पहुँचाया जा चूका है.
जिबूती से भारतीय नागरिकों को वायु सेना के दो सी-17 ग्लोब्मास्टर्स से स्वदेश लाया जाएगा.
जिन 350 लोगों को बहार निकाल लिया गया है उनमे से 206 केरल से, 40 तमिलनाडु से , 31 महाराष्ट्र से, 23 पश्चिम बंगाल से, 22 दिल्ली से, 15 कर्नाटक से और 13 आंध्र प्रदेश/ तेलंगाना से हैं.
यह बचाव अभियान विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह की देख रेख में चल रहा है.
आईएनएस सुमित्रा के अलावा दो और भारतीय नौसेना के जहाज आईएनएस मुंबई और आईएनएस तरकश ऑपरेशन राहत में भाग लेने के लिए यमन के लिए रवाना हो चुके हैं. इसके साथ ही दो व्यापारी जहाज कावारत्ती और कोरल भी आपरेशन में भाग लेंगे.
इनके साथ ही दो 180 सीटों वाले एयरबस A320 विमानों भी आपरेशन में भाग लेंगे.
ऑपरेशन राहत क्यों?
ऑपरेशन राहत का उद्देश्य सऊदी अरब और 10 अन्य देशों द्वारा हाउती विद्रोहियों के खिलाफ शुरू किए गए सैन्य अभियान से भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकालना है. हाउती विद्रोहियों के कारण यमन के राष्ट्रपति को अपना देश छोड़ना पड़ा था.
हाउती कौन हैं?
ये शिया जैदी संप्रदाय के अनुयायी हैं और इन्हें आधिकारिक तौर पर अंसारअल्लाह(भगवान के समर्थक) के रूप में जाना जाता है.यह समूह 1990 के दशक में उत्तरी यमन के जैदी केंद्र में सहिष्णुता और शांति के प्रचार के लिए एक आंदोलन के रूप में शुरू किया गया था.
समूह का नाम अब्दुराह्बू मंसूर हाउती के नाम पर पड़ा जिसने 2004 में शासक अली अब्दुल्ला सालेह के खिलाफ विद्रोह की शुरुआत की थी.
इस समूह ने यमन की राजधानी सना और संसद पर भी कब्ज़ा कर लिया है.
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