रवांडा ने 7 अप्रैल 2014 को 100 दिनों तक चले नरसंहार की 20वीं वर्षगांठ मनाई. इस मौके पर राष्ट्रपति पॉल कागामे और संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की– मून ने किगाली नरसंहार मेमोरियल सेंटर में मशाल जलाई. अनुमान के मुताबिक इस नरसंहार में देश के टूटसी अल्पसंख्यों के उग्रवादी हुतुओं ने दस लाख से अधिक रंवाडावासियों को तीन महीने के अंदर हथियारों और गोलियों से मार डाला था.
रवांडा में तत्कालीन राष्ट्रपति जुवेनाल हाबयारीमान (हुतु) की गोली मार कर हत्या करने के बाद यह नरसंहार हुआ था. इसमें मारे गए लोगों को दफनाने के लिए देशभर में सैंकडों सामूहिक कब्र खोदे गए थे, सरकार का कहना था कि इस नरसंहार की लंबे समय से योजना बनाई गई थी.
कागामे ने इस नरसंहार को रोकने के लिए पड़ोसी देश युगांडा के टुटसी सैन्य बल का नेतृत्व किया था.
पृष्ठभूमि
रवांडा में हुआ यह नरसंहार रवांडा के टुटसी और हुतु द्वारा किया गया सामूहिक नरसंहार था. करीब 100 दिनों (7 अप्रैल 1994 से मध्य जुलाई) तक चले इस नरसंहार में पांच से दस लाख रवांडावासियों की हत्या का अनुमान है, जिसमें तत्कालीन रवांडा में रहने वाली जनसंख्या का 20% और टुटसी की जनसंख्या का 70% लोगों शामिल थे. नरसंहार की योजना प्रमुख राजनीतिक लोगों जो अकाजू के नाम से जाने जाते हैं द्वारा बनाई गई थी, जिनमें से कई राष्ट्रीय सरकार में शीर्ष पदों पर कब्जा कर रखा है.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation